अधिवक्ता को हाईकोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करना पड़ा भारी अवमानना नोटिस जारी कर किया तलब…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अधिवक्ता द्वारा न्यायालय की कार्यवाही के दौरान की गई अवमाननापूर्ण टिप्पणी को गंभीरता से लेते हुए उसे अवमानना नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभुदत्त गुरु की खंडपीठ ने अधिवक्ता सैमसन सैमुअल मसीह को 18 जुलाई 2025 को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है।
मामला श्यामल मलिक बनाम ममता दास से संबंधित है, जिसमें न्यायमूर्ति राकेश मोहन पाण्डेय की एकलपीठ ने आदेश पारित किया था। आदेश के ऑपरेटिव पैरा में याचिका खारिज कर दी गई, क्योंकि इससे पहले पारिवारिक न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से जुड़ा मुद्दा डब्ल्यूपी (227) क्रमांक 31/2024 में पहले ही खारिज हो चुका था।
लेकिन इस आदेश के बाद, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सैमसन मसीह ने कथित तौर पर कहा – “मुझे पता था कि मुझे इस पीठ से न्याय नहीं मिलेगा।” अदालत ने इसे न्यायालय की प्रतिष्ठा और निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाने वाली टिप्पणी माना।
इस टिप्पणी को न्यायालय की अवमानना मानते हुए मामला मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया गया। 10 जुलाई को प्रशासनिक स्तर पर रजिस्ट्री को अवमानना याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया गया।
खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि अधिवक्ता का यह वक्तव्य “अस्वीकार्य और न्यायालय की गरिमा को धूमिल करने वाला” है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिवक्ता को यह याद रखना चाहिए कि वह केवल मुवक्किल का प्रतिनिधि नहीं, बल्कि न्यायालय का अधिकारी भी होता है, जिसे नियमों और पेशेवर नैतिकता का पालन करना चाहिए।



