गेहूं के बाद अब चीनी को लेकर हरकत में आई सरकार

नई दिल्ली : गेहूं के बाद भारत चीनी को लेकर एक्शन में नजर आ रहा है। सरकार 6 साल में पहली बार चीनी निर्यात को प्रतिबंधित या सीमित करने की योजना बना रही है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक सरकारी सूत्र ने मंगलवार को बताया कि भारत घरेलू कीमतों में उछाल को रोकने के लिए चीनी के निर्यात को सीमित करने जा रहा है।

इस सीजन का निर्यात एक करोड़ टन तक सीमित रह सकता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और ब्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। इस खबर के आने के बाद चीनी कंपनियों के शेयरों में जोरदार गिरावट देखने को मिली।

ब्लूमबर्ग ने पहले बताया था कि सरकार सितंबर को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए चीनी निर्यात को 10 मिलियन टन (एमटी) या 10 मिलियन टन तक सीमित कर सकती है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारत इस सीजन में चीनी के निर्यात को संभावित रूप से 10 मीट्रिक टन तक सीमित करने की योजना बना रहा है।

इंडिया शुगर ट्रेडर्स एसोसिएशन ने संभावित निर्यात कैप पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे “एहतियाती कदम” करार दिया। CNBC-TV18 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 2021-22 सीज़न में अनुमानित 9.5 मीट्रिक टन उत्पादन के मुकाबले 8 मीट्रिक टन चीनी निर्यात करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। विश्लेषकों का कहना है कि 10 मीट्रिक टन की सीमा पर्याप्त है। इसके तहत चीनी मिलें अधिकतम निर्यात कर सकेंगी। पिछले साल देश में चीनी का उत्पादन 35.5 मीट्रिक टन था।

19 मई को उद्योग निकाय इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के एक बयान के अनुसार, वैश्विक बाजारों में भारतीय स्वीटनर की बेहतर मांग के कारण अक्टूबर 2021-अप्रैल 2022 की अवधि के दौरान चीनी निर्यात 64 प्रतिशत बढ़कर 7.1 मिलियन टन हो गया। पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 43.19 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था।

Show More

KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

Related Articles

Back to top button
Translate »