इंडिया में बने 4 कफ सिरप पर अलर्ट, WHO ने कहा- इनके 2 कंपाउंड हैं जानलेवा

रायपुर/सूत्र: भारत की दवा कंपनी द्वारा बनाए गए 4 कफ-सिरप को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार को अलर्ट जारी किया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि ये उत्पाद मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। ये सुरक्षित नहीं हैं, खासकर बच्चों में इनके इस्तेमाल से गंभीर समस्या या मौत का खतरा रहता है।

डब्ल्यूएचओ ने रिपोर्ट में कहा कि कफ-सिरप में डायथाइलीन ग्लाइकॉल(Diethylene Glycol) और एथिलीन ग्लाइकॉल (Ethylene Glycol) की इतनी मात्रा होती है कि इसके कारण इंसानों के लिए घातक हो सकते हैं। दरअसल, इन यौगिकों के कारण भारत में बच्चों सहित 33 की मौत हो चुकी है, लेकिन इन यौगिकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।

फ़ाइल फोटो

गौरतलब हैं की भारत की दवा कंपनी द्वारा बनाए गए 4 कफ सिरप को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अलर्ट जारी किया है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ये कफ सिरप मानक के मुताबिक नहीं हैं। ये पूरी तरह से असुरक्षित हैं और बच्चों के लिए इनका इस्तेमाल मौत को दावत देना है।

बता दें कि डब्ल्यूएचओ का यह बयान पश्चिम अफ्रीकी देश गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के बाद आया है। माना जा रहा है कि यहां इन सिरपों के इस्तेमाल से बच्चों की हालत बिगड़ गई। ज्यादातर बच्चों की मौत किडनी खराब होने से हुई है। आइए जानते हैं कौन से हैं वो 4 सिरप, जिन्हें लेकर अलर्ट जारी किया गया है?

रिपोर्ट्स के मुताबिक WHO का कहना है कि चारों सिरप हरियाणा की कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल ने बनाए हैं. ये हैं प्रोमेथाज़िन ओरल सॉल्यूशन, कोफ़ेक्समालिन बेबी कफ-सिरप, मैकॉफ़ बेबी कफ-सिरप और मैग्रीप एन कोल्ड सिरप। इस कंपनी ने अभी तक WHO को इन कफ सिरप के लिए सुरक्षा और गुणवत्ता की गारंटी नहीं दी है।

1- प्रोमेथाज़िन ओरल सॉल्यूशन

मेडेन फार्मास्युटिकल द्वारा बनाए गए इस कफ सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। कंपनी का हरियाणा के सोनीपत में प्लांट है। इसके अलावा बडी में एक यूनिट भी है। अफ्रीका के अलावा, इस कंपनी द्वारा निर्मित प्रोमेथाज़िन ओरल सॉल्यूशन सिरप का निर्यात एशिया, पूर्वी यूरोप, मध्य पूर्व और रूस को भी किया जाता है।

2- कोफेक्समालिन बेबी कफ-सिरप

दूसरा सिरप जिस पर WHO ने अलर्ट जारी किया है उसे Cofaxmalin Baby Cough-Syrup कहा जाता है। इन सभी सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा इतनी अधिक होती है कि ये बच्चों के लिए घातक हो सकते हैं।

3- मैकॉफ बेबी कफ-सिरप

मेडेन फार्मास्युटिकल का तीसरा सिरप जिसे खतरनाक बताया गया है, उसका नाम मैकॉफ बेबी कफ-सिरप है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इन सिरपों में इस्तेमाल होने वाले कार्बन यौगिक मीठे होते हैं, जिसके कारण बच्चों के सिरप में इनका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

4- मैग्रीप एन कोल्ड सिरप

चौथे सिरप का नाम मैग्रीप एन कोल्ड है। नियमों के मुताबिक बच्चों के लिए सभी कफ सिरप में कार्बन कंपाउंड की मात्रा 0.14 मिलीग्राम प्रति किलो से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे ज्यादा अगर इसका इस्तेमाल किया जाए तो यह बच्चों के लिए घातक हो सकता है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने सिरप में इन कार्बन यौगिकों की मात्रा निर्दिष्ट नहीं की जिससे 66 बच्चों की मौत हुई।

मेडेन फार्मास्युटिकल कंपनी की स्थापना 1990 में हुई थी। कंपनी ने पिछले 32 वर्षों में काफी विकास किया है। कंपनी ने खुद को अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में भी स्थापित किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेडेन फार्मास्युटिकल्स एक महीने में 10 करोड़ टैबलेट और 60 मिलियन कैप्सूल बनाने में सक्षम है।

कंपनी एक महीने में करीब 60 लाख लिक्विड इंजेक्शन और इतनी ही मात्रा में ड्राई पाउडर इंजेक्शन भी बनाती है। इसके अलावा, कंपनी मासिक आधार पर 100 मिलियन ओरल लिक्विड और 50 मिलियन मलहम के साथ 50 मिलियन आई ड्रॉप भी बनाती है।

मेडेन फार्मास्युटिकल्स मलेरिया-रोधी दवाओं के अलावा दर्द निवारक दवाएं भी बनाती है। इन दवाओं को भारत के अलावा दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया जैसे देशों में भेजा जाता है, जहां मलेरिया का प्रकोप बहुत अधिक है। इसके साथ ही यह कंपनी दिल से जुड़ी बीमारियों की दवाएं भी बनाती है। 20 दिल से संबंधित हैं, जबकि कंपनी मधुमेह के लिए 5 दवाएं बनाती है।

गाम्बिया में हुई मौतों के बाद भारत सरकार ने अपनी जांच शुरू कर दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। डब्ल्यूएचओ ने पिछले महीने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को इन मौतों की जानकारी दी थी। तब से डीसीजीआई ने इसकी जांच शुरू कर दी है। राज्य सरकार के अधिकारी भी इसमें शामिल हो गए हैं। डब्ल्यूएचओ ने अन्य देशों के स्वास्थ्य और चिकित्सा संस्थानों से कहा है कि वे तुरंत सूचित करें कि क्या वहां भी ऐसे उत्पादों की पहचान की जाती है।

डब्ल्यूएचओ द्वारा इन दवाओं पर चिंता व्यक्त करने के बाद सरकार एक्शन मोड में आ गई है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इन कंपनियों के लोकेशन प्रिंट कर लिए गए हैं और वहां से सैंपल लेकर जांच के लिए लैब में भेजे गए हैं। इन दवाओं ने विश्व स्तर पर भारतीय दवा बाजार की प्रतिष्ठा को प्रभावित किया है, जो (भारत) अब तक अपनी फार्मेसी के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध था।

Show More

KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

Related Articles

Back to top button
Translate »