सभी नर्सिंग होम और सोनोग्राफी सेंटर पीसी-पीएनडीटी एक्ट का पालन सुनिश्चित करें- कलेक्टर
कोरिया : कलेक्टर विनय कुमार लंगेह की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में पीसी एण्ड पीएनडीटी एक्ट के सफल क्रियान्वयन के लिए जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक सह कार्यशाला आयोजित की गई। बैठक में कलेक्टर लंगेह ने हॉस्पिटल एवं सोनोग्राफी सेन्टरों के नियमित निरीक्षण के निर्देश दिए।
उन्होंने बैठक में उपस्थित सभी सोनोग्राफीकर्ता चिकित्सकों को निर्देशित करते हुए कहा कि पीसी-पीएनडीटी एक्ट का पालन सभी नर्सिंग होम एवं सोनोग्राफी सेंटर सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि आम जन को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना हमारी प्राथमिकता है। यह एक बेहद महत्वपूर्ण अधिनियम है, इसके अंतर्गत नियमों का उल्लंघन ना हो।
बैठक सह कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आरएस सेंगर, डीपीएम एनएचएम डॉ प्रिंस जायसवाल, लीगल एक्सपर्ट ध्रुव कश्यप सहित जिला सलाहकार समिति के सदस्य एवं शासकीय व निजी चिकित्सालयों के सोनोग्राफीकर्ता चिकित्सक उपस्थित रहे।
इस दौरान कलेक्टर लंगेह ने जिले में सोनोग्राफी केन्द्रों एवं पंजीकृत संस्थाओं की जानकारी ली। डीपीएम ने बताया कि कोरिया और मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में कुल 17 पंजीकृत संस्था है। कलेक्टर ने नवीन पंजीयन, वैधता, फार्म-एफ में जानकारी संधारण की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि फॉर्म एफ का ऑनलाइन एवम ऑफलाइन दोनों स्थितियों में अद्यतन संधारण सुनिश्चित करें। कार्यशाला में पीसी पीएनडीटी एक्ट के तहत प्रावधानों एवं नवीन दिशानिर्देशों की विस्तार से जानकारी दी गई।
पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट 1994 क्या है–
पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक ‘पीएनडीटी’ एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है।
ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है। प्रत्येक आनुवांशिक परामर्श केंद्र, आनुवांशिक प्रयोगशाला या आनुवांशिक क्लिनिक परामर्श देने या प्रसव पूर्व निदान तकनीकों का संचालन करने में लगे हुए हैं, जैसे कि गर्भाधान से पहले और बाद में लिंग चयन की संभावनाओं के साथ इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (आईवीएफ) पीसीसीपीटी अधिनियम के दायरे में आता है और इस पर प्रतिबंध है।