छत्तीसगढ़ में उद्योग-व्यापार को मिली रफ्तार
रायपुर : छत्तीसगढ़ में बीते पौने चार साल में उद्योग-व्यापार क्षेत्रों के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार होने से जहां एक ओर उद्योग-व्यापार को रफ्तार मिली है, वहीं दूसरी ओर रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने नई औद्योगिक नीति 2019-24 की घोषणा करते हुए समय-समय पर अनेक आवश्यक संशोधन भी किए हैं। राज्य में बड़े उद्योगों की स्थापना और संचालन को प्रोत्साहित तो किया ही जा रहा है लेकिन कृषि और वन आधारित उद्योगों को प्राथमिकता दी जा रही है। वहीं नई औद्योगिक नीति में वंचित वर्गों के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं। गौरतलब है कि ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के मापदंडों में छत्तीसगढ़ देश के प्रथम 6 राज्यों में शामिल है।
छत्तीसगढ़ में प्राथमिक क्षेत्र (कृषि, वानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन) को आजीविका के साधन बनाने से लेकर आय के बड़े स्त्रोत के रूप में तैयार करने के लिए अनेक अभिनव प्रयास हो रहे हैं। वहीं सेवा क्षेत्रों में विस्तार कर एक विजन के साथ राज्य के विकास की गति को बढ़ाने का प्रयास भी बीते चार वर्षों में किया गया है। इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने सबसे पहले छत्तीसगढ़ में औद्योगिक नीति में आवश्यक संशोधन किए, जिससे की उद्योग-व्यापार को बढ़ावा मिले और छत्तीसगढ़ की तस्वीर बदल सके। नयी औद्योगिक नीति में फूड, एथेनॉल, इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस, दवा, सोलर जैसे नए उद्योगों को प्राथमिकता दी गई।
दूसरी ओर औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन नियमों का सरलीकरण किया गया है, जिसके अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन भू-प्रब्याजी में 30 फीसदी की कमी की गई, जबकि भू-भाटक में 33 फीसदी की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों एवं औद्योगिक क्षेत्रों से बाहर 10 एकड़ तक आबंटित भूमि को लीज होल्ड से फ्री होल्ड किए जाने के लिए नियम तैयार किए गए हैं।