दुनिया भर की कंपनियों को है मंदी का डर, छह महीने में हजारों लोग हो सकते हैं बेरोजगार
नई दिल्ली/सूत्र : Afraid of recession दुनियाभर में महंगाई अपने चरम पर है. भारत ही नहीं पूरी दुनिया में लोग महंगाई से परेशान हैं। दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में महंगाई की दर भारत से ज्यादा है। इसे रोकने के लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। हर गुजरते दिन के साथ मंदी के संकेत मजबूत होते जा रहे हैं।
एक सर्वे के मुताबिक दुनिया भर के 86 फीसदी सीईओ का कहना है कि अगले 12 महीनों में मंदी दस्तक दे सकती है। इसके साथ ही कंपनियों ने मंदी से निपटने के उपाय भी शुरू कर दिए हैं। आशंका जताई जा रही है कि अगले छह महीने में हजारों लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।
आउटलुक के अनुसार, 46 प्रतिशत सीईओ ने कहा कि वे अगले छह महीनों के दौरान छंटनी करने की योजना बना रहे हैं। इसी तरह 39 फीसदी सीईओ ने कहा कि उन्होंने नई भर्तियों पर पहले ही रोक लगा दी है. यह सर्वेक्षण 12 जुलाई से 24 अगस्त के बीच दुनिया भर के 1,325 सीईओ के बीच किया गया था। इनमें से 86% का मानना है कि अगले 12 महीनों में मंदी दस्तक देने वाली है। 75 फीसदी ने कहा कि अगर मंदी आती है तो वैश्विक अर्थव्यवस्था की महामारी के झटकों से उबरने में मुश्किलें बढ़ेंगी।
मंदी की तैयारी– सीईओ का कहना है कि उन्होंने मंदी से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। सर्वेक्षण में शामिल 75 प्रतिशत सीईओ ने कहा कि उन्होंने अगले छह महीनों में इसे रोक दिया है या ऐसा करने की योजना बना रहे हैं। 80 प्रतिशत सीईओ ने कहा कि उन्होंने कर्मचारियों की छंटनी पर विचार किया है या करने की योजना बना रहे हैं। सर्वेक्षण में शामिल मुख्य कार्यकारी अधिकारियों में से 58 प्रतिशत ने कहा कि मंदी हल्की होगी और इसका अल्पकालिक प्रभाव होगा।
हालांकि, ज्यादातर का कहना है कि अगले तीन साल में वैश्विक अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सकती है। फरवरी 2022 में किए गए पिछले सर्वेक्षण में, सीईओ ने साइबर सुरक्षा को सबसे बड़ा जोखिम बताया था, लेकिन नवीनतम सर्वेक्षण में, एमर्जिंग और डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा है। सर्वे के मुताबिक वर्क फ्रॉम होम सिस्टम आगे भी जारी रहेगा। तीन साल बाद 65 फीसदी कर्मचारी ऑफिस से काम कर सकते हैं, 28 फीसदी हाइब्रिड सिस्टम और सात फीसदी कर्मचारी घर से काम कर सकते हैं।