फसलों को कीट-व्याधियों से बचाव हेतु कृषकों को समसामयिक सलाह

गरियाबंद : जिले में खरीफ मौसम की प्रमुख फसल धान है। इस वर्ष अच्छी वर्षा होने के फलस्वरूप कृषको द्वारा धान फसल मे बम्पर उत्पादन की उम्मीद है। परंतु मानसून के विदाई के साथ हो रही हल्की वर्षा के कारण वातावरण में अतिरिक्त आर्द्रता होने के फलस्वरूप धान फसलो मे कीट बीमारियो का प्रकोप बढ़ सकता है। जिले के सभी क्षेत्रो में अगेती किस्म एमटीयू 1010 ए महामाया आदि में बाली आ चुकी है तथा पछेती किस्म स्वर्णा आदि मे बाली निकलना शुरू हो गया है। बाली निकलने के साथ-साथ धान फसल पर कीट रोग के संकट के बादल मंडरा सकते है।

बाली निकलने के उपरांत लगभग सभी धान फसल के किस्मों में वातावरण के अतिरिक्त आर्द्रता होने के कारण खुली आंखों से नजर नही आने वाले दुश्मन (पेनिकल माईट) पिछले 4-5 सालों से घातक साबित हो रही है। इस कीट के प्रकोप होने पर बाली बदरंग होने के साथ-साथ दाना बदरा हो जाता है, इसका मुख्य कारण धान की मकड़ी (पेनिकल माईट) एवं शीथ ब्लाईट है। जिससे धान की फसल मे 6-7 क्विंटल तक उत्पादन मे कमी आ सकती है। इसके लक्षण दिखने के पश्चात् इसे बचाया तो नहीं जा सकता, किन्तु समय रहते इसकी पहचान कर फसलो को उपचारित कर होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

किसान भाई धान के फसलों में पेनिकल माईट के नियंत्रण हेतु हेक्जीथायोजॉक्स 120-150 मि.ली.प्रति एकड़ अथवा इटाक्सॅाजोल 120-150 मि.ली. प्रति एकड़ मकड़ीनाशक दवाई के साथ प्रोपीकोनाजोल 350-400 मि.ली. प्रति एकड फफंूदनाशक का छिड़काव कर सकते है। साथ ही धान फसलो मे तनाछेदक, भूरा माहू, कटुवा, शीथब्लाईट, ब्लास्ट, शीथ-रॉट जैसे अनेको कीट-बीमारियों की समस्या हो सकती है, जिसकी सही समय पर उपचार नही होने पर धान की फसल पूर्ण रूप से नष्ट हो सकती है।

जिले में धान फसल के साथ-साथ मक्का, दलहन एवं तिलहन की फसल भी लगाई जाती है, जिसमे भी अनेक कीट-व्याधी आने की संभावना है। उक्त फसलों को कीट-व्याधियों के नियंत्रण एवं कृषको को समय पर समसामयिक सलाह तथा उचित मार्ग-दर्शन करने हेतु जिले के उप संचालक कृषि संदीप कुमार भोई द्वारा जिला स्तरीय पर नियंत्रण कक्ष बनाया गया है एवं ब्लॉक स्तर पर दल गठन किया गया है। साथ ही सभी मैदानी  अधिकारियों को अलर्ट रहने तथा अपने क्षेत्रों का सतत् भ्रमण करने के साथ-साथ कृषकों से संपर्क करने निर्देशित किया गया है।

कृषक साथी अपने फसलों में होने वाली समस्या के उपचार हेतु जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष में महेश कुमार पैंकरा सहायक संचालक कृषि मो.नं.-7987058258, जसपाल साहू मो.नं.-9131198044, ब्लॉक स्तर पर कोपेश्वर गजेन्द्र, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी गरियाबंद मो.न.-7000860213, बी.आर.साहू,वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी फिंगेश्वर मो.न.-7999707049, मेम सिंह कवंर, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी छुरा मो.न.-9340338356, भावेश कुमार शांडिल्य, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी मैनपुर मो.न.-7974163020, जे.एन.नाग, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी देवभोग मो.न.-7974325754 तथा अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों से संपर्क कर उचित उपचार हेतु तकनीकी मार्गदर्शन ले सकते है।

सभी किसान भाईयो से अपील है कि फसलो मे धान की मकड़ी (पेनिकल माईट) की समस्या दिखने अथवा  कीट-व्याधि की समस्या होने पर जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष व ब्लॉक स्तर के अधिकारियो तथा ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों से संवर्क कर उचित सलाह लेकर ही फसलों मे कीटनाशको का छिड़काव करे ताकि सही कीट-व्याधियों का उपचार समय मे हो सके।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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