पेट्रोलियम उत्पादों और बिजली को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग

नई दिल्ली/सूत्र: औद्योगिक संगठन सीआईआई के नवनियुक्त अध्यक्ष संजीव पुरी ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अभी आना बाकी है। गुरुवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि तमाम आर्थिक स्थितियों को देखते हुए सीआईआई ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में देश की जीडीपी वृद्धि दर आठ फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। आर्थिक विकास की गति को और तेज करने के लिए सीआईआई ने नई सरकार से भूमि, श्रम, बिजली, कृषि और राजकोषीय स्थिति जैसे मुद्दों पर राज्यों के साथ आम सहमति बनाने को कहा है।

पुरी ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि पेट्रोलियम उत्पादों, बिजली और रियल एस्टेट जैसी वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। जीएसटी दरों का स्लैब घटाकर तीन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकसित राष्ट्र के निर्माण के लिए भौतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ-साथ मानव पूंजी का निर्माण करने की जरूरत है। इसके लिए अगले तीन साल में शिक्षा पर खर्च को जीडीपी के 4.4 फीसदी तक ले जाना होगा, जो अभी तीन फीसदी के करीब है। चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर आठ फीसदी रहेगी

सीआईआई के अनुसार चालू वित्त वर्ष में कृषि और सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन पिछले वित्त वर्ष 2022-23 से बेहतर रहेगा, लेकिन औद्योगिक उत्पादन में पिछले वित्त वर्ष से गिरावट आ सकती है। पिछले वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 1.4 फीसदी रही थी, जो चालू वित्त वर्ष में 3.7 फीसदी रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में सेवा क्षेत्र 9.0 फीसदी की दर से बढ़ सकता है। पिछले वित्त वर्ष में यह दर 7.9 फीसदी थी। वहीं, औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष के 9.3 फीसदी के बजाय चालू वित्त वर्ष में 8.4 फीसदी रह सकती है।

टैक्स की दर की जगह टैक्स के राजस्व पर हो फोकस : थिंक चेंज फोरम

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना ​​है कि बड़ी आबादी वाले देश भारत में कर की दर कम रखकर अधिक राजस्व जुटाया जा सकता है। आर्थिक विशेषज्ञों के समूह थिंक चेंज फोरम (टीसीएफ) द्वारा विकसित राष्ट्र बनने के लिए प्रगतिशील कराधान प्रणाली पर आयोजित परिचर्चा में यह बात सामने आई कि सरकार को कर की दर के बजाय कर से होने वाले राजस्व पर ध्यान देना चाहिए। कर की दर कम करने से कर आधार (आकार) में वृद्धि होगी।

परिचर्चा में यह बात सामने आई कि वर्ष 2017 में जीएसटी के तहत 60 लाख करदाता पंजीकृत थे, जो वर्ष 2023 में बढ़कर 1.40 करोड़ हो गए और जून 2023 तक 114 करोड़ से अधिक रिटर्न दाखिल किए जा चुके थे। । इस अवसर पर ईवाई इंडिया के वरिष्ठ भागीदार सुधीर कपाड़िया ने कहा कि अब समय आ गया है कि जीएसटी प्रणाली में स्लैब की संख्या कम की जाए। इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिलने में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आयकर राजस्व में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन हमें करदाताओं के कर से संबंधित प्रशासनिक अनुभव पर ध्यान देना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि कर दाखिल करने की प्रक्रिया सरल और सुचारू हो। आर्बिट्रेज रिसर्च इंस्टीट्यूट के सह-संस्थापक निदेशक कौशिक दत्ता ने कहा कि कर विवादों में फंसी रकम को अनलॉक करना और अपील स्तर पर लंबित मामलों का समाधान करना महत्वपूर्ण है। मार्च 2022 तक 14.2 लाख करोड़ रुपये के पांच लाख से अधिक मामले अनसुलझे थे।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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