सिंगल यूज प्लास्टिक बैन को 1 साल के लिए टालने की मांग

नई दिल्ली : ट्रेडर्स यूनियन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर एक जुलाई से प्रतिबंध को एक साल के लिए टालने की मांग की है। इसके लिए संघ ने पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र से इस संबंध में एक समिति गठित करने का भी आग्रह किया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कमेटी में सरकारी अधिकारियों और स्टेकहोल्डर्स के प्रतिनिधि होंगे जो तय समय में सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प तलाशने की कोशिश करेंगे. विकल्प मिलने के बाद देश में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद हो जाएगा।

CAIT ने कहा है कि इसमें कोई शक नहीं है कि पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए। हालांकि किसी भी चीज को बैन करने से पहले उसका विकल्प तलाशना भी बेहद जरूरी है। CAIT के अनुसार, सिंगल यूज प्लास्टिक निर्माण उद्योग सालाना आधार पर 60,000 करोड़ रुपये का है और यह लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है। सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल निजी ही नहीं सरकारी संस्थानों में भी बड़े पैमाने पर होता है। बिना किसी विकल्प के इसे बंद करने से खुदरा व्यापार क्षेत्र में भारी नुकसान होगा।

CAIT का कहना है कि इस प्रतिबंध का सीधा असर व्यापारियों पर पड़ेगा. कैट के अनुसार, अधिकांश एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक का उपयोग बड़े निर्माताओं द्वारा अपने उत्पादों को पैकेजिंग इकाइयों में पैक करने के लिए किया जाता है। इसलिए सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल तब तक जारी रहेगा जब तक इसे बड़े पैमाने पर बंद नहीं किया जाता। गौरतलब है कि इस तरह के प्रतिबंध से सारा दबाव छोटे व्यापारियों पर आ जाएगा जो अपने ग्राहकों को पॉलीबैग नहीं दे पाएंगे। इससे उनका कारोबार प्रभावित हो सकता है।

इसके अलावा ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एआईपीएमए) का कहना है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 88,000 इकाइयां सिंगल यूज प्लास्टिक के निर्माण में लगी हुई हैं। इनमें करीब 10 लाख लोग कार्यरत हैं। अगर 1 जुलाई को प्रतिबंध लागू होता है तो ये इकाइयां एक झटके में बंद हो जाएंगी और इनके कर्मचारियों को सीधे तौर पर दंडित किया जाएगा। इसके अलावा ये इकाइयां करीब 25,000 करोड़ रुपये के सामान का निर्यात करती हैं। इस प्रतिबंध से राजस्व पहलू को भी काफी नुकसान होगा।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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