मवेशियों में फैले एलएसडी बीमारी से डरे नहीं, जानिये कारण, बचाव एवं उपचार
जिले के मवेशियों में फैली एलएसडी बीमारी के उपचार में पशुपालन विभाग शिविर लगाकर कर रहा उपचार व दी जा रही आवश्यक जानकारी
सूरजपुर : जिले के मवेशियों में फैली बीमारी एलएसडी के संबंध में कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा के निर्देशन में पशुपालन विभाग द्वारा सूचना मिलते ही तत्काल ग्रामों में जाकर पशुओं के उपचार हेतु निरन्तर शिविर लगाये जा रहे है। अभी तक मुख्यालय सूरजपुर का वार्ड क्रमांक 17 एवं 18, विकासखण्ड़ सूरजपुर के ग्राम लांची, देवीपुर, चम्पकनगर, रामपुर, छतरपुर, कल्याणपुर एवं विकासखण्ड़ प्रतापपुर के ग्राम करसी, मकनपुर, बुढ़ाडाड, विकासखण्ड़ भैयाथान के ग्राम चन्दरपुर, मसिरा, विकासखण्ड़ रामानुजनगर के ग्राम कृष्णपुर, अगस्तपुर एवं विकासखण्ड़ प्रेमनगर के खजुरी, दुर्गीपुर, कालीपुर, केदारपुर, महगंई में शिविर लगाया जा चुका है। विभाग द्वारा बीमारी के रोकथाम के लिए सतत् मांनिटरिंग किया जा रहा है।
जिले के मवेशियों में फैली बीमारी एलएसडी की जांच कर पशुपालन विभाग के डाॅक्टरों ने जिले के गौ पालकों को बीमारी से न डरने एवं इससे संबंधित जानकारी प्राप्त कर बचाव के उपाय करने हेतु अपील किया है।
अपील:- इस रोग में पशु मृत्यु दर नगण्य है। पशुपालकों से आग्रह किया गया है कि एलएसडी से भयभीत न होकर बताये जा रहे तरीकों से पशुओं का बचाव व उपचार करावें। विशेष परिस्थितियों में निकटम पशु चिकित्सक से तत्काल सम्पर्क करें।
विभाग के द्वारा बताया गया है, कि ढेलेदार त्वचा रोग ( लम्पी स्कीन डिसीज- एलएसडी) गौवंशीय में होने वाला विषाणुजनित संक्रामक रोग है। जो कि पोक्स फेमिली के वायरस जिससे अन्य पशुओं में पाॅक्स (माता) रोग होता है। वातावरण में गर्मी एवं नमी के बढ़ने के कारण देष के विभिन्न प्रदेशों में जैसे मध्यप्रदेश, उड़िसा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल के साथ-साथ हमारे प्रदेश छत्तीसगढ़ में भी पाया जा रहा है।
स्वस्थ पशुओं को यह बिमारी एलएसडी संक्रमित पशुओं के सम्पर्क में आने से व वाहक मच्छर/टिक्स (चमोकन) से होता है। एलएसडी की वजह से दुधारू पशुओं में दुध उत्पादन एवं अन्य पशुओं की कार्यक्षमता कम हो जाती है।
लक्षण:- एक या दो दिन तेज बुखार, शरीर एवं पांव में सुजन, शरीर में गठान व चकते, गठान का झड़कर गिरना एवं घाव का निर्माण।