अवैध रेत उत्खनन से पैरीनदी का अस्तित्व संकट में
गरियाबंद/खेलन महिलांगे : छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित पैरी नदी में अवैध रेत खनन का सिलसिला लगातार जारी है। यहां से प्रतिदिन दो सौ से चार सौ हाईवा में रेत भरकर परिवहन किया जा रहा है। बीच नदी में पोकलेन लगाकर रेत उत्खनन से क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोगों को भविष्य में प्राकृतिक आपदा, जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।
नदी की दिशा भी बदल रही है और खतरा भी पैदा हो रहा है। नदी में करीब 5 से 10 फीट का गड्ढा बनने से आम लोगों के साथ-साथ मवेशियों को भी खतरा है। आने वाले वर्षों में यह अवैध रेत खनन से मवेशियों और ग्रामीणों के लिए घातक साबित होने वाला है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के रोक के बावजूद हो रहे रेत उत्खनन से गरियाबंद जिले के कुटेना, सरकड़ा, कोपरा, तर्रा, कुरुसकेरा, सुरसाबांधा, बरोंडा, सिंधौरी, चौबेबंधा सहित कई गांवों के लोगों को रेत खनन से गंभीर परेशानी हो रही है। पैरी नदी किनारे स्थित गांव के लोगों के निस्तार का यह प्रमुख स्थान है।
नदी में आसपास के ग्रामीण सब्जियां, तरबूज आदि की खेती करते हैं, किंतु अब बेतहाशा खोदाई व रेत उत्खनन के कारण लगभग 5 से 10 फुट गहरा गड्ढा हो रहा है जिससे आने वाले दिनों में मवेशी और लोगों के डूबने की घटनाएं भी होंगी। रेत का बड़े पैमाने पर उत्खनन कर ट्रकों में ले जाया जा रहा है, जिससे गांव की सड़कों की हालत भी खराब हो गई है, नदी का प्राकृतिक स्वरूप भी बिगड़ने लगा है।
जिस तरह से बड़ी मशीनरी का उपयोग कर रेत की खुदाई की जा रही है, उससे नदी का स्वरूप बदल रहा है और नदी गहराई में बदल रही है। नदी से रेत उठाकर ले जाने से बड़े-बड़े गड्ढे निर्मित हो जा रहे हैं। और भविष्य में दिक्कतें भी आ सकती हैं। स्वाभाविक रूप से बहने वाली नदी में रेत की अचानक खुदाई से नदी का रुख बदल जाएगा।
नदी की दिशा में परिवर्तन होगा। इससे सीधे तौर पर आसपास के इलाकों में परेशानी होगी। आसपास के गांवों को भी अचानक बाढ़ और सूखे का सामना करना पड़ सकता है। नदी की धारा को बदलना बेहद खतरनाक माना जाता है। इससे लोगों के जीवन के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान होता है।
बारिश में अचानक धारा बदलने से मिट्टी का कटाव होगा और पेड़-पौधे नष्ट हो जाएंगे। नदी तटों में परिवर्तन गंभीर चिंता का विषय है।