ड्रोन के इस्तेमाल से खेती होगी और प्रॉफिटेबल

रायपुर : ड्रोन निर्माता गरुड़ एयरोस्पेस ने फ्लिपकार्ट समर्थित कृषि-वाणिज्य स्टार्ट-अप निन्जाकार्ट के साथ साझेदारी की है। इसके जरिए भारत के कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचार लाने की योजना है। इस रणनीतिक टाई-अप के माध्यम से, दोनों कंपनियां किसानों को अल्पकालिक वित्तपोषण विकल्प प्रदान करेंगी, ताकि वे सस्ती कीमत पर नवीनतम ड्रोन तकनीक का उपयोग कर सकें।

कृषि भूमि में ड्रोन का उपयोग न केवल किसानों के लिए फसल की पैदावार में सुधार करने में मदद कर सकता है बल्कि लागत भी कम कर सकता है। तकनीक के अलावा, गरुड़ और निंजाकार्ट गांवों में ग्रामीण उद्यमियों को प्रशिक्षण और व्यवसाय के अवसर भी प्रदान करेंगे। लोगों को ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। दोनों स्टार्ट-अप का दावा है कि ग्रामीण युवा 50,000 रुपये से 1 रुपये प्रति माह तक कमा सकते हैं।
निन्जाकार्ट के सह-संस्थापक कार्तिश्वरन केके ने कहा, “हम किसानों के लिए खेती को अधिक कुशल और लाभदायक बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में विश्वास करते हैं। ड्रोन के उपयोग से मृदा विश्लेषण, जल प्रबंधन और सटीक कृषि में मदद मिलेगी। वहीं, गरुड़ एयरोस्पेस के संस्थापक और सीईओ अग्निश्वर जयप्रकाश ने कहा, ‘यह सहयोग कृषि क्षेत्र पर स्थायी प्रभाव विकसित करने में मदद करेगा।’

गरुड़ एयरोस्पेस के पास वर्तमान में 400 ‘मेड-इन-इंडिया’ ड्रोन का बेड़ा है और भारत के 84 शहरों में 500 से अधिक पायलटों की एक टीम है। जबकि, निंजाकार्ट 150 गांवों में एक लाख से अधिक किसानों के साथ काम करता है और उनकी उपज और आय में सुधार करने में मदद करता है। 2020 से फ्लिपकार्ट और वॉलमार्ट ने निंजाकार्ट में 17.5 करोड़ डॉलर का निवेश किया है।
कृषि ड्रोन का उपयोग कीटनाशकों और उर्वरकों के छिड़काव के साथ-साथ फसलों की बुआई के लिए भी किया जाता है। ड्रोन तकनीक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को शामिल करने के साथ ही फसल की निगरानी और पोषक तत्व प्रबंधन भी किया जाता है। फसल कितनी होगी इसका भी सटीक अंदाजा लगाया जा सकता है।
वर्तमान में भारत में लगभग 40 स्कूल ड्रोन पायलट प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं, जिन्हें नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा अनुमोदित किया गया है। ड्रोन की मांग को देखते हुए कई और स्कूल खोले जा रहे हैं। पिछले साल मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एग्री ड्रोन को लेकर मेले का आयोजन किया गया था।
इसमें कई ड्रोन बनाने वाली कंपनियां शामिल थीं। मेले का उद्घाटन करने पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ड्रोन तकनीक को नई क्रांति बताते हुए 5 ड्रोन स्कूल खोलने की घोषणा की. एक अनुमान के मुताबिक देश में इस समय हजारों ड्रोन पायलटों की कमी है। ड्रोन के इस्तेमाल में तेजी से बढ़ोतरी के साथ यह संख्या और भी बढ़ जाएगी।
भारत जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है और क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवाँ सबसे बड़ा देश है। ऐसे में इतनी बड़ी आबादी को खाद्य सुरक्षा मुहैया कराना बेहद चुनौतीपूर्ण है। इसलिए यह आवश्यक है कि पारंपरिक खेती के स्थान पर आधुनिक एवं तकनीकी खेती का विस्तार किया जाए। खेती की बढ़ती लागत के कारण किसानों को खेती से नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे में ड्रोन जैसी तकनीक से की जाने वाली सटीक खेती देश के किसानों को बेहतर विकल्प दे सकती है। ड्रोन के इस्तेमाल से किसान लागत कम कर और समय की बचत कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। पारंपरिक तरीके से कीटनाशकों के छिड़काव से भी किसान की सेहत पर असर पड़ता है, लेकिन ड्रोन के इस्तेमाल से इससे बचा जा सकता है।