अदरक की खेती: हमेशा होती है मांग, एक-दो साल में बन जाएंगे करोड़पति

रायपुर : अगर आप नई नौकरी की तलाश में हैं तो हम आपको एक ऐसे उत्पाद के बारे में बता रहे हैं, जिसकी मांग साल भर बनी रहती है। सर्दियों के मौसम में मांग में भारी उछाल आता है। औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण लोग इसे किसी न किसी रूप में खाने में शामिल करना चाहते हैं। हम बात कर रहे हैं अदरक की। जो कई गुणों से भरपूर होने के साथ-साथ आपको करोड़पति भी बना सकता है। अदरक की खेती से आप सालाना लाखों रुपये बचा सकते हैं।

कई घरों में दिन की शुरुआत अदरक की चाय से होती है। चाय के शौकीनों के लिए अदरक की चाय दिन में कई बार बनाई जाती है. घरों, चाय की दुकानों या बड़े होटलों में भी अदरक की चाय की मांग बनी रहती है। इसके अलावा अदरक का उपयोग सब्जी बनाने, काढ़ा बनाने, अचार बनाने, आयुर्वेदिक दवाएं और कई तरह के उत्पादों में भी किया जाता है। वहीं अदरक सर्दी, खून की कमी, खांसी, पीलिया, पथरी, पेट के रोगों के इलाज में भी उपयोगी है। इसका उपयोग कई कॉस्मेटिक आइटम बनाने में भी किया जाता है। दुकानों में अदरक का पेस्ट और जूस भी बिक रहा है. इससे आप समझ ही गए होंगे कि साल भर अदरक की कितनी डिमांड रहती है।

विभिन्न राज्यों में अदरक की विभिन्न प्रजातियों की खेती की जाती है। जिसमें मोरन अदा, जटिया, बेला अदा, केकी, विची, नदिया, काशी शामिल हैं।

अदरक की खेती में लागत- कई पढ़े-लिखे लोग अपना पांच अंकों का वेतन अपने शहरों में छोड़कर खेती की ओर बढ़ रहे हैं। इस खेती के लिए सरकार की ओर से भी मदद दी जाती है। फसल बोने के बाद लगभग 8-9 महीने में फसल तैयार हो जाती है। तब तक बुवाई से लेकर कटाई और फसल बेचने तक के खर्च की बात करें तो एक हेक्टेयर जमीन पर 7 से 8 लाख रुपये खर्च होंगे।

अदरक से लाभ – अदरक की खेती के लिए पहले अच्छे निवेश की आवश्यकता होती है। लेकिन इसका फायदा जानकर आपको और भी हैरानी होगी। क्योंकि यह लागत से कई गुना अधिक है। सर्दियों में अदरक की सबसे ज्यादा डिमांड होती है और तभी इससे काफी मुनाफा कमाया जा सकता है। वहीं अदरक की मांग साल भर बनी रहती है। इसकी खेती से होने वाले लाभ की बात करें तो एक हेक्टेयर में 150 से 200 क्विंटल अदरक का उत्पादन होता है।

बाजार में एक किलो अदरक 60 से 80 रुपये में बिकता है। ऐसे में एक हेक्टेयर भूमि पर कम से कम लागत में अदरक की खेती कर 25 लाख तक की आय आसानी से अर्जित की जा सकती है। सारा खर्चा निकालकर भी करीब 15 लाख रुपये एक साल के लिए बचाए जा सकते हैं। जितनी अधिक भूमि पर खेती की जाती है, उतनी ही अधिक उपज और अधिक लाभ होता है।

खेती के लिए उपयुक्त भूमि – अदरक की खेती उस मिट्टी में की जानी चाहिए जिसमें बायोमास और कार्बनिक पदार्थ अधिक मात्रा में मौजूद हों। इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। खेतों में जल निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। मिट्टी का pH मान 6-7 होना चाहिए। इसके साथ ही खेतों में फसल चक्रण विधि अपनानी चाहिए। एक ही फसल को बार-बार लगाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। ऐसे में फसलों में बीमारियों और कीटों का खतरा अधिक होता है।

बारिश का पानी है जरूरी- जानकारों का कहना है कि अदरक की खेती बारिश के पानी पर निर्भर करती है। किसान चाहें तो अकेले फसल लगा सकते हैं या पपीते जैसी बड़ी पेड़ फसलों से भी इसकी खेती की जा सकती है। यह खेती पलंग बनाकर की जाती है। एक हेक्टेयर भूमि में लगभग तीन क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि खेतों में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। जलजमाव वाली जगहों पर इसकी खेती नहीं करनी चाहिए।

कैसे करें खेती? – सबसे पहले बुवाई की जाती है। बुवाई अप्रैल से मई के महीने में की जाती है। बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार कर लें। इसके बाद कतार बनाई जाती है। पंक्तियों के बीच की दूरी 30 से 40 सेमी होनी चाहिए। वहीं, एक ही पंक्ति में पौधों की दूरी 25 सेमी होनी चाहिए। अब कंद या पौधे निर्धारित स्थान पर लगाएं। इसके लिए जमीन में चार से पांच सेंटीमीटर का गड्ढा होना चाहिए। उन गड्ढों में पौधे या कंद लगाकर उन्हें मिट्टी या गोबर की खाद से भर दें।

सावधानियां- इस फसल को खुले में बोने की अपेक्षा हल्की छाया देनी चाहिए। जिससे उत्पादन 25 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही अदरक को फसल के साथ पान, हल्दी, लहसुन, प्याज और मिर्च जैसी सब्जियों के साथ भी उगाया जा सकता है ताकि इसे रोगों और कीटों से बचाया जा सके। अदरक की फसल में गीली घास डालना भी एक अच्छा निर्णय है। जिससे खेतों में खरपतवार कम उगते हैं।

जब पौधे बढ़ने लगते हैं यानि जब वे 20 से 25 सेंटीमीटर के हो जाते हैं, तो उन्हें मिट्टी देना आवश्यक हो जाता है। ताकि मिट्टी भुरभुरी बनी रहे। चार-पांच माह में निराई-गुड़ाई भी करनी पड़ती है।

खाद- यह फसल लंबी अवधि की फसल है, इसलिए इसे बीच-बीच में खाद देना आवश्यक है। क्योंकि इस फसल को अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसलिए इसमें गाय का गोबर या कम्पोस्ट खाद मिलानी चाहिए। इस फसल को तैयार होने में 7 से 8 महीने का समय लगता है। तब तक इसकी अच्छी तरह से देखभाल करनी होगी। लेकिन एक बार फसल तैयार हो जाने पर आपको लाभ मिलेगा। इससे अन्य फसलें लगाकर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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