सरकार ने USB Type-C चार्जिंग पोर्ट के लिए जारी किए गुणवत्ता मानक

नई दिल्ली/सूत्र : भारत सरकार मोबाइल और पहनने योग्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए दो सामान्य चार्जिंग पोर्ट पेश करने की योजना बना रही है। इनमें से एक मोबाइल, स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए यूएसबी टाइप-सी पोर्ट होगा और दूसरा वियरेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए सामान्य पोर्ट होगा। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने USB टाइप C चार्जिंग पोर्ट और चार्जर के निर्माण के लिए गुणवत्ता मानक जारी किए हैं।

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि हितधारक यूएसबी टाइप सी चार्जर अपनाने पर सहमत हो गए हैं। इसके बाद ही बीआईएस द्वारा गुणवत्ता मानक जारी किए गए हैं। वहीं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-कानपुर में घड़ी जैसे वियरेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए सिंगल चार्जिंग पोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। इस संबंध में रिपोर्ट मिलने के बाद उपभोक्ता मामले विभाग (बीआईएस) उद्योग के हितधारकों से चर्चा करेगा।

देश में केवल दो तरह के चार्जिंग पोर्ट को अनिवार्य करने पर सिंह ने कहा, ‘हमें 2024 की यूरोपीय संघ की समय सीमा को पूरा करना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला है।’ हम अपने उत्पाद केवल भारत में नहीं बेचते हैं। 16 नवंबर को हितधारकों के साथ हुई बैठक में इस बात पर सहमति बनी थी कि कॉमन चार्जिंग पोर्ट को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए।

सरकार क्यों चाहती है टाइप सी चार्जर – दरअसल, पिछले साल नवंबर में ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन यानी सीओपी 26 में प्रधानमंत्री मोदी ने लाइफस्टाइल कॉन्सेप्ट फॉर लाइफ यानी पर्यावरण की घोषणा की थी. सरकार ई-कचरे को कम करने के लिए लगातार काम कर रही है। सरकार 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करना चाहती है।

ई-कचरा या इलेक्ट्रॉनिक कचरा उन्हीं बिजली के सामानों को कहा जाता है, जिन्हें हम इस्तेमाल करने के बाद फेंक देते हैं। जनसंख्या वृद्धि के साथ हमारी आवश्यकताएँ भी बढ़ रही हैं। घर के हर सदस्य के पास पर्सनल गैजेट्स होते हैं। इस वजह से ई-वेस्ट बढ़ रहा है।

यूरोपीय संघ में इस बात पर सहमति बनी है कि साल 2024 से सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस एक ही चार्जर का इस्तेमाल करेंगे. 2024 तक, यूरोपीय संघ में सभी मोबाइल फोन, टैबलेट और कैमरों में यूएसबी टाइप सी चार्जिंग पोर्ट बनाए जाएंगे।

यूरोपीय संघ का मानना है कि इस फैसले से उपभोक्ता हर साल चार्जर की खरीदारी पर 250 मिलियन यूरो (267 मिलियन डॉलर) यानी 2,075 करोड़ रुपए तक की बचत कर सकेंगे। अगर इसी तरह के चार्जर मिल जाएं तो करीब 11 हजार टन इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को भी कम किया जा सकता है। सैमसंग, शाओमी, ओप्पो, वीवो और रियलमी, मोटोरोला ने टाइप सी चार्जिंग पोर्ट वाले फोन पर स्विच किया है। टाइप सी पोर्ट और चार्जर की कीमत की बात करें तो इनकी कीमत 100 से 150 रुपये तक शुरू होती है।

एंड्रॉइड इकोसिस्टम धीरे-धीरे यूएसबी टाइप-सी इकोसिस्टम की ओर बढ़ रहा है। लगभग सभी नए स्मार्टफोन में चार्जिंग और अन्य कनेक्टिविटी के लिए ये ऑप्शन दिए जा रहे हैं। हालाँकि, एपल अभी भी अपने उपकरणों को लाइटनिंग पोर्ट प्रदान कर रहा है। कंपनी आईफोन 15 प्रो सीरीज में यूएसबी टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट की योजना बना रही है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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