ज्वैलरी की हॉलमार्किंग भी होती है नकली, ये बात जान लिया तो झट से लेंगे पहचान

नई दिल्ली/सूत्र: दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सोने के आभूषण बाजार में भारतीय उपभोक्ताओं पर हॉलमार्क वाला नकली सोना खरीदने का खतरा मंडरा रहा है। प्रमुख ज्वेलर्स और उद्योग निकायों ने यह चेतावनी दी है। फर्जी हॉलमार्किंग से आम लोगों को होने वाले नुकसान के साथ ही सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है।

मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के चेयरमैन एमपी. अहमद का कहना है कि नकली हॉलमार्क वाले गहने बाजार में 200 से 300 रुपए प्रति ग्राम सस्ते में मिल रहे हैं। इस कारण भी आम लोगों का ध्यान इस ओर नहीं जाता है। अहमद का कहना है कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने जून 2021 से ही देश में गहनों की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है। लेकिन नकली हॉलमार्क वाले आभूषणों को अवैध रूप से अशुद्ध या तस्करी के सोने से बनाया जाता है। इससे उन ज्वैलर्स को नुकसान होता है, जो सही और कानूनी तरीके से कारोबार कर रहे हैं।

फ़ाइल फोटो

हॉलमार्किंग सोने की शुद्धता की गारंटी होती है। हर आभूषण पर हॉलमार्क एक निशान होता है। इसमें बीआईएस का लोगो उसकी शुद्धता को बताता है। इसके साथ ही हॉलमार्किंग में जांच केंद्रों आदि की जानकारी भी मिलती है। किसी आभूषण में सोने की मात्रा अलग-अलग होती है, जो उसकी शुद्धता यानी कैरेट के आधार पर तय होती है। कभी-कभी जौहरी कम कैरेट के गहनों के लिए अधिक कैरेट कीमत वसूलते हैं। इसे खत्म करने के लिए हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया गया है।

पिछले साल 1 जुलाई से सरकार ने सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग साइन में बदलाव किया है और साइन की संख्या घटाकर तीन कर दी है। पहला चिन्ह बीआईएस हॉलमार्क का होता है। यह एक त्रिकोणीय निशान है। दूसरा चिन्ह शुद्धता के बारे में बताता है। यानी इससे पता चलता है कि ज्वैलरी कितने कैरेट सोने से बनी है। तीसरा प्रतीक छह अंकों का अल्फ़ान्यूमेरिक कोड है जिसे HUID नंबर कहा जाता है। HUID का मतलब हॉलमार्क विशिष्ट पहचान संख्या है। छह अंकों के इस कोड में अक्षर और अंक होते हैं। हॉलमार्किंग के समय ज्वेलरी के प्रत्येक पीस को एक एचयूआईडी  नंबर आवंटित किया जाता है। यह संख्या अद्वितीय है। इसका मतलब है कि एक ही एचयूआईडी नंबर वाले दो आभूषण नहीं हो सकते।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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