गुरुपूर्णिमा 2025: सरस्वती शिशु मंदिर, कसेरू में जीवंत हुई गुरु-शिष्य परंपरा

गरियाबंद: भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर के समकक्ष माना गया है। इसी गौरवशाली परंपरा को साकार करते हुए सरस्वती शिशु मंदिर, कसेरू में गुरुपूर्णिमा पर्व श्रद्धा, भक्ति और भावनात्मक वातावरण में उल्लासपूर्वक मनाया गया।

दीप प्रज्वलन से प्रारंभ हुआ कार्यक्रम

कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के अध्यक्ष, व्यवस्थापिका, प्रधानाचार्य एवं वरिष्ठ आचार्यगणों द्वारा दीप प्रज्वलन और माँ सरस्वती वंदना के साथ हुई। दीप से ज्योति और गुरु से प्रेरणा का संदेश इस आयोजन की आत्मा बन गया।

विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों ने बंधा समा

छात्र-छात्राओं ने अपने-अपने अंदाज़ में गुरु के महत्व को रेखांकित किया: कक्षा 7वीं की जागृति ने भावुक कविता से मन मोह लिया। भैय्या चुकेश्वर ने छोटा लेकिन गूढ़ भाषण देकर गुरु की भूमिका पर प्रकाश डाला। कक्षा 8वीं की दमिनी ने सुंदर काव्यपंक्तियाँ प्रस्तुत कीं। प्रीति ने “गुरु – ज्ञान के दीप” विषय पर प्रभावशाली वक्तव्य दिया।

गुरुओं ने दिए प्रेरणादायक संदेश

विद्यालय के सभी आचार्य एवं आचार्याओं ने विद्यार्थियों को आशीर्वचन देते हुए कहा— “शिक्षा केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। गुरु वह होता है जो बालक के भीतर छिपे व्यक्तित्व को सही दिशा देता है।”

प्रबंध समिति अध्यक्ष और प्रधानाचार्य के विचार

विद्यालय समिति के अध्यक्ष तोमर साहू ने कहा: “गुरु वह शक्ति हैं, जो समाज की नींव को मजबूत बनाते हैं। सच्चा राष्ट्र निर्माता वही है, जो भावी पीढ़ी को संस्कार देता है।”

व्यवस्थापिका श्रीमती शशि नागेश ने कहा:

“गुरु केवल पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि जीवन की दिशा दिखाने वाले होते हैं। एक सच्चा गुरु बालक के भीतर छिपे दीपक को प्रज्वलित करता है।”

प्रधानाचार्य श्री सिन्हा ने अपने संदेश में कहा:

“विद्यालय केवल परीक्षा केंद्र नहीं, बल्कि यह जीवन निर्माण की प्रयोगशाला है। शिक्षक वह दीप हैं जो स्वयं जलकर विद्यार्थियों का मार्ग रोशन करते हैं।

गुरु भावना-पट और समापन

कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियों ने “गुरु को पत्र / एक पंक्ति / चित्र” बनाकर उन्हें “गुरु भावना-पट” पर अर्पित किया। प्रसाद वितरण एवं “भारत माता की जय” के जयघोष के साथ कार्यक्रम का भावपूर्ण समापन हुआ।

ग्रामवासियों और अभिभावकों ने सराहा आयोजन

इस आयोजन में विद्यालय परिवार, ग्रामवासी, शिक्षकगण एवं अभिभावकगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने इस आयोजन को संस्कारवान, प्रेरणादायक और हृदयस्पर्शी बताया।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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