तंबाकू के प्रचार पर पूर्ण प्रतिबंध, स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मांग
नई दिल्ली: तंबाकू नियंत्रण अधिनियम के तहत सरकार ने तंबाकू के सेवन पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में अब समय आ गया है कि धूम्रपान क्षेत्रों और दुकानों और गुमटी आदि में तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों की छूट को समाप्त किया जाए। सरकार के कदमों की सराहना करते हुए शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सर्वसम्मति से सख्त तंबाकू नियंत्रण कानूनों की मांग की।
इस घातक उत्पाद के इस्तेमाल से हर साल देश में 13 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) संशोधन विधेयक न केवल लाखों लोगों की जान बचाने में मदद करेगा, बल्कि इससे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोझ भी कम होगा।
कैंसर विशेषज्ञ और आईसीएमआर-नेशनल कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की निदेशक डॉ. शालिनी सिंह, महाराष्ट्र बीजेपी प्रवक्ता श्वेता शालिनी और फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ. अर्चना धवन बजाज ने कहा कि कोटपा एक्ट में खामियां खामोश स्वीकृति की तरह हैं. यह तंबाकू के सेवन पर अंकुश लगाने के बजाय एक तरह से इसकी अनुमति देता है। इससे धूम्रपान करने वालों और युवाओं में संदेश जाता है कि तंबाकू का सेवन ठीक है, उन्हें इस आदत को जारी रखना चाहिए।
नागरिक समूह टोबैको फ्री इंडिया द्वारा आयोजित एक वेबिनार में, डॉ शालिनी सिंह ने तंबाकू के उपयोग से होने वाले कैंसर और अन्य बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस दौरान उन्होंने बताया कि तंबाकू उद्योग अब ‘सिंथेटिक निकोटीन’ के जरिए युवाओं को फंसाने की कोशिश कर रहा है।
कई देश अब तंबाकू के सेवन को खत्म करने की रणनीति की दिशा में कदम उठा रहे हैं। उन्होंने सड़कों, समुद्र तटों और खुले पार्कों में तंबाकू के सेवन पर भी प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है। भारत में हर साल इस घातक उत्पाद के कारण 13 लाख से अधिक लोग मारे जाते हैं।
तंबाकू सेवन के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। भारतीय राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 में तम्बाकू नियंत्रण को व्यापक रूप से शामिल किया गया है। इस नीति में वर्ष 2009-10 की तुलना में वर्ष 2025 तक तम्बाकू की खपत को 30 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है। यह अच्छा है कि कई सार्वजनिक स्थानों और कार्यस्थलों पर धूम्रपान पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
प्रख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना धवन बजाज ने तंबाकू सेवन के कारण देश में प्रसव संबंधी समस्याओं की बढ़ती समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने आगाह किया कि विवाहित जोड़ों में नपुंसकता या ऐसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
धूम्रपान और तंबाकू का सेवन पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। यह अस्वस्थ हो सकता है, गर्भपात हो सकता है और गर्भ में बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। युवाओं को निशाना बनाने वाली तमाम साजिशों को खत्म करने के लिए समय आ गया है कि कोटपा एक्ट को सख्त बनाया जाए। वेबिनार में शामिल वक्ताओं ने सर्वसम्मति से जोर दिया कि तंबाकू के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।