16 और 17 जुलाई को छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाएं रहेंगी बाधित, NHM के 16 हजार संविदा कर्मी हड़ताल पर

रायपुर: छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत कार्यरत 16 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी 16 और 17 जुलाई को दो दिवसीय हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान प्रदेश की कई अहम स्वास्थ्य सेवाएं जैसे टीकाकरण, टीबी-मलेरिया नियंत्रण, दवा वितरण, नवजात शिशु देखभाल, पोषण पुनर्वास केंद्र, आयुष्मान OPD सेवाएं और स्कूल स्वास्थ्य परीक्षण प्रभावित होंगी।
हड़ताल में डॉक्टर, नर्स, ANM, लैब-एक्सरे तकनीशियन, फार्मासिस्ट, सफाईकर्मी और हाउसकीपिंग स्टाफ सहित सभी संवर्ग के कर्मचारी शामिल होंगे। संघ का कहना है कि लंबे समय से स्थायीत्व, वेतनमान, सामाजिक सुरक्षा और अन्य सुविधाओं की मांग की जा रही है, लेकिन शासन-प्रशासन ने अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया।
‘कोरोना योद्धा’ कहे गए, लेकिन उपेक्षा मिली
छत्तीसगढ़ एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी ने कहा कि NHM के तहत पिछले 20 वर्षों से स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही हैं, परंतु आज भी संविदा कर्मियों को न तो नियमित किया गया है, न ही उन्हें अन्य राज्यों की तरह सुविधाएं दी जा रही हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र में NHM कर्मियों को वेतन, पेंशन, बीमा जैसी सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह उपेक्षा जारी है।
‘मोदी की गारंटी’ बनी प्रतीक्षा
प्रदेश महासचिव कौशलेश तिवारी के अनुसार भाजपा सरकार ने चुनाव पूर्व ‘मोदी की गारंटी’ के तहत संविदा कर्मियों की समस्याएं सुलझाने का वादा किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद भी अब तक कोई समाधान नहीं हुआ। इससे पहले कांग्रेस सरकार के समय भी नियमितीकरण का वादा किया गया था, परंतु वह भी अधूरा रहा।
जुलाई में सिलसिलेवार प्रदर्शन
संघ के अनुसार आंदोलन 10 जुलाई से क्रमशः जारी है:
- 10 जुलाई: स्थानीय विधायकों को ज्ञापन
- 11 जुलाई: भाजपा जिला अध्यक्षों को ज्ञापन
- 12-15 जुलाई: काली पट्टी लगाकर कार्य
- 16 जुलाई: जिला मुख्यालयों में धरना और ज्ञापन
- 17 जुलाई: विधानसभा घेराव (रायपुर)
आंदोलन और तेज हो सकता है
संघ के संरक्षक हेमंत सिन्हा सहित कई पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि शासन-प्रशासन ने अब भी मांगों पर गंभीरता नहीं दिखाई, तो आंदोलन को अनिश्चितकालीन किया जा सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मिरी ने जनता से दो दिन की असुविधा के लिए खेद जताया और आंदोलन के लिए राज्य शासन और प्रशासन को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया।



