ह्यूमन कंपोस्टिंग को मिली हरी झंडी, मृत लोगों के शव से बनेगी खाद

न्यूयॉर्क/सूत्र: विज्ञान और तकनीक की तरक्की ने इंसानी जीवन के साथ-साथ मृत्यु के बाद की प्रक्रियाओं को भी नए आयाम दिए हैं। अब अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य में मानव शव को ईको-फ्रेंडली तरीके से खाद में बदलने की प्रक्रिया ह्यूमन कंपोस्टिंग को आधिकारिक मंजूरी दे दी गई है।
आमतौर पर पौधों और पशुओं के अवशेष से खाद तैयार की जाती रही है, लेकिन इंसानी अवशेषों का इस्तेमाल इस रूप में पहले नहीं होता था। अब इस नई तकनीक से मृतक के शरीर को नेचुरल ऑर्गेनिक रिडक्शन प्रक्रिया से गुजारा जाएगा। इसमें लगभग 30 दिन के भीतर शव के सॉफ्ट टिश्यू (नरम ऊतक) खाद में परिवर्तित हो जाते हैं।
सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल तरीका
विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित मानी जाती है। इसमें अधिकांश पैथोजंस यानी रोगजनक नष्ट हो जाते हैं, जिससे खाद का उपयोग सुरक्षित हो जाता है। हालांकि, ऐसे शव जिनमें गंभीर संक्रामक बीमारियां होती हैं, उन्हें इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाता।
2019 में वॉशिंगटन बना पहला राज्य
अमेरिका का वॉशिंगटन वर्ष 2019 में ह्यूमन कंपोस्टिंग को मंजूरी देने वाला पहला राज्य बना था। इसके बाद कैलिफोर्निया, कोलोराडो और अब न्यूयॉर्क समेत कई अन्य राज्यों ने भी इसे हरी झंडी दी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका में करीब 10 लाख एकड़ भूमि केवल श्मशान घाट के लिए सुरक्षित है, जहां कोई कृषि या अन्य गतिविधि नहीं हो पाती। ऐसे में ह्यूमन कंपोस्टिंग को पर्यावरण हितैषी विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।
बढ़ेगा ईको-फ्रेंडली समाधानों का दायरा
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि पारंपरिक दाह संस्कार और दफनाने की तुलना में अधिक टिकाऊ और संसाधन बचाने वाला तरीका साबित हो सकता है।



