अगर आपकी भी आदत रोजाना रात 11 बजे के बाद सोने की है तो इस बीमारी को दे रहे न्योता…

रायपुर/लाइफ स्टाइल : आजकल की भागदौड़ भरी और ऑफिस वर्क वाली लाइफ में ज्यादातर लोगों का दिन लेट नाइट ही खत्म होता है। जिसकी वजह से डिनर में देर और फिर नींद के लिए बिस्तर में जाने के लिए भी देरी होती है। लेकिन अगर आप रोजाना नियम से 11 बजे के बाद सोते हैं। तो इसका सेहत पर गंभीर असर होता है।

ये असर केवल मेंटली ही नहीं होता बल्कि ये आपके पूरे बॉडी की हेल्थ को प्रभावित करता है। कई सारी रिसर्च में इस बात का पता चला है कि जो लोग रोजाना 12 बजे के करीब सोते हैं उनमे इस खास बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। जानें 11 बजे बाद रोजाना सोने से किस बीमारी का खतरा दिन पर दिन बढ़ता जाता है।

रिसर्च में सामने आ चुकी है ये बात

जामा नेटवर्क ओपन में पब्लिश स्टडी में 1200 लोगों पर किए रिसर्च में पता चला कि जो लोग लगातार मिड नाइट यानी 12 बजे के करीब सोते हैं उनमे हाई ग्लाइसेमिक वैरियेबिलिटी देखने को मिली है। इसका मतलब है कि ब्लड ग्लूकोज लेवल दिनभर में या हर दिन फ्लक्चुएट होता रहता है।

ब्लड ग्लूकोज लेवल का फ्लक्चुएशन है खतरनाक

ब्लड ग्लूकोज लेवल के तेजी से ऊपर-नीचे जाने से ना केवल डायबिटीज होती है बल्कि ये कई सारी क्रॉनिग बीमारियों को पैदा करता है। जिससे डेथ का भी खतरा रहता है।

देर रात सोने से क्या होता है बॉडी पर असर

दरअसल, जब हम रोजाना रात 11 बजे के बाद सोते हैं तो तेजी से बॉडी में एड्रलेनिन और कॉर्टिसोल हार्मोन बनते हैं। जिससे बॉडी में स्ट्रेस होता है। बॉडी स्ट्रेस में होती है तो उसे एनर्जी की जरूरत महसूस होती है और एनर्जी की पूर्ति के लिए उसे ग्लूकोज यानी शुगर की जरूरत पड़ती है। शुगर की क्रेविंग होती है और ज्यादा शुगर खाने से डायबिटीज का रिस्क बढ़ता है।

मेंटल हेल्थ पर होता है असर

यहीं नहीं, साल 2024 में जनरल साइकेट्रिक रिसर्च में पब्लिश स्टडी के मुताबिक अगर रोजाना रात 1 बजे के करीब सोया जाए तो इससे डिप्रेशन और एन्जायटी डिसऑर्डर का हाई रिस्क रहता है। यहीं नहीं काफी सारी पुरानी रिसर्च में पता चला है कि जो लोग रात को देर से सोते हैं और सुबह जल्दी उठने के लिए स्ट्रगल करते हैं उनकी लाइफ काफी छोटी होती है। साथ ही कई सारे हेल्थ रिस्क भी होते हैं। जैसे डायबिटीज और साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर।

डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। किसी चिकित्सीय स्थिति के बारे में किसी भी सवाल के लिए हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लें।

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