हेल्थ इंश्योरेंस सर्विस से खुश नहीं हैं तो ऐसे पोर्ट कराएं पॉलिसी, जानिए क्या है पूरा प्रोसेस
रायपुर: हम अपने जीवन में किसी भी तरह के मेडिकल इमरजेंसी के खर्च से बचने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं. स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेने के कुछ समय बाद पॉलिसीधारक को लगता है कि वह अब इस पॉलिसी की शर्तों और सेवाओं से खुश नहीं है। तो अब पॉलिसीधारक के पास क्या विकल्प है? तो इसका जवाब है कि आप अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को पोर्ट करा लें। हाँ “पोर्ट!” जैसे हम अपने मोबाइल फोन का सिम पोर्ट करा लेते हैं और दूसरी कंपनी का सिम ले लेते हैं। ठीक उसी तरह हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को भी पोर्ट किया जा सकता है।
IRDA की ओर से पुरानी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को नई एजेंट कंपनी में पोर्ट कराने के लिए गाइडलाइन जारी कर दी गई है. जिसके अनुसार एक पॉलिसी धारक अपनी पुरानी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को तभी पोर्ट कर सकता है जब पुरानी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी अपने नवीनीकरण के समय में हो। बीमा पॉलिसी कंपनियां नवीनीकरण समय से 45 दिनों के भीतर पोर्ट की प्रक्रिया करती हैं।
उसके बाद पॉलिसीधारक को हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी फॉर्म भरना होगा। इस फॉर्म में पॉलिसी धारक को पुरानी पॉलिसी से जुड़ी सभी जानकारी भरनी होती है। इसके बाद पॉलिसीधारक को क्लेम डिक्लेरेशन देना होता है। यानी आपको बताना होगा कि पिछली पॉलिसी में आपने किसी तरह की क्लेम की सुविधा ली है।
इसके बाद नई एजेंट कंपनी आपकी स्वास्थ्य पृष्ठभूमि की जांच करेगी। अंत में, नई एजेंट कंपनी आपको आपके पुराने रिकॉर्ड के अनुसार नई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की शर्तें बताएगी। जिसके हिसाब से आपको इस हेल्थ इंश्योरेंस को पोर्ट कराने का फैसला लेना है। अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की शर्तों से खुश हैं तो इसे पोर्ट करा लें, नहीं तो पुरानी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर जाएं।
ध्यान देने वाली बातें- स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को पोर्ट कराने के लिए पॉलिसीधारक को किसी भी तरह का अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होता है। इसके अलावा कोई स्वास्थ्य बीमा कंपनी पोर्ट कराने से मना नहीं कर सकती है।