ग्रामीण नालों में जल उपलब्धता से दोहरी फसल के रकबे में होने लगी वृद्धि : नरवा विकास से आजीविका के साधन बढ़े

रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के चार प्रमुख घटक नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी के संरक्षण एवं संवर्धन के चलते गांवों में खुशहाली का एक नया दौर शुरू हुआ है। इससे लोगों के आमदनी में इजाफा होने लगा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ने लगी है। नरवा विकास से गांवों में जल उपलब्धता सुनिश्चित हुई है, जिससे खेती-किसानी समृद्ध होने लगी है। राज्य के सीमावर्ती जिले जशपुर में नरवा विकास से वर्षा जल का संचयन होने से, सिंचाई की सुविधा के साथ-साथ ग्रामीणों की आजीविका के नए साधन सृजित हुए हैं।

नरवा विकास के तहत ऐसी संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है, जिससे वर्षा जल को रोककर उसका उपयोग सिंचाई एवं निस्तारी के लिए किया जा सके। जशपुर जिले में नरवा विकास के तहत 81 नालों का चिन्हांकन किया गया है। जिसके अंतर्गत विकासखंड बगीचा में 11 नाले एवं विकासखंड जशपुर, दुलदुला, मनोरा, कुनकुरी, कांसाबेल, फरसाबहार, पत्थलगांव में 10-10 नाले को चिन्हांकित कर वहां उपचार का कार्य कराया जा रहा है। इन नालांे पर मनरेगा एवं अन्य योजना के अभिसरण से छोटे बड़े कुल 6676 निर्माण कार्यों को शामिल कराए जा रहे हैं। जिसकी कुल लागत 11 करोड़ 77 लाख 17 हजार रूपए है। नरवा विकास कार्य के अंतर्गत नाला उपचार के लिए स्टॉप डैम, बोल्डर चेक डैम, गाद निकास नाली, गेबियन संरचना, गली प्लग, कंटूर ट्रैंच, सहित सीसीटी, एलबीसी इत्यादि कार्य किये जा रहे है। इसी प्रकार क्षेत्र उपचार अंतर्गत भूमि सुधार, डबरी, नवीन तालाब, का निर्माण, तालाबों का गहरीकरण, सिंचाई नहर, वृक्षारोपण एवं कुंआ निर्माण जैसे कार्य कराए जा रहे हैं।
जिले के विकासखंड कुनकुरी के तुंबाजोर नाले की सफाई एवं उपचार का कार्य कराया गया है। यहां के किसानो का कहना है कि बरसात के बाद नाला सूख जाता था, अब इसमें जल का भरा रहता है। इससे उन्हें सिंचाई के लिए जल मिलने लगा है। फलस्वरूप वह रबी फसलों और साग-सब्जी की खेती कर अतिरिक्त अतिरिक्त आय अर्जित करने लगे हैं।