रूस से भारत की बढ़ती खरीददारी: तेल नहीं, ये है नई डिमांड का खेल

नई दिल्ली: भारत इस समय रूस से सस्ता तेल काफी मात्रा में खरीद रहा है। कच्चे तेल के अलावा एक चीज और ऐसी है, जिसे भारत रूस से काफी ज्यादा खरीद रहा है। इस चीज का नाम नेफ्था है। जून के महीने में भारत और ताइवान, रूस से आने वाले नेफ्था के सबसे बड़े खरीदार रहे। LSEG के आंकड़ों से पता चलता है कि इन देशों ने रूस से सस्ता नेफ्था खरीदा क्योंकि उन्हें इसकी जरूरत थी।

नेफ्था एक जरूरी चीज है जो पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री में इस्तेमाल होती है। इससे ओलेफिन और एरोमैटिक्स बनते हैं। फिर इनसे प्लास्टिक, सिंथेटिक रेजिन, सिंथेटिक फाइबर और कई तरह के केमिकल बनते हैं। फरवरी 2023 में यूरोपियन यूनियन (EU) ने रूस से आने वाले तेल प्रोडक्ट्स पर पूरी तरह से रोक लगा दी। इसके बाद से मध्य पूर्व और एशिया के देश रूस से नेफ्था खरीदने लगे।

रूस से कितना नेफ्था खरीदा?

रॉयटर्स की खबर के मुताबिक जून में रूस के बंदरगाहों से भारत को 250,000 टन नेफ्था भेजा गया। यह मई से 5% कम था। लेकिन साल 2025 के पहले छह महीनों में भारत ने रूस से 14 लाख टन से ज्यादा नेफ्था खरीदा। शिपिंग डेटा से पता चला कि रूसी नेफ्था भारत के पश्चिमी बंदरगाहों, जैसे मुंद्रा, हजीरा और सिक्का पर पहुंचा। भारत पहले संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से नेफ्था खरीदता था। लेकिन अब वह रूस से सस्ता नेफ्था खरीद रहा है ताकि उसे कम पैसे खर्च करने पड़ें।

वहीं LSEG के आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने रूस से ताइवान को 234,000 टन नेफ्था भेजा गया। यह मई के मुकाबले दोगुना था। जनवरी से जून के बीच, ताइवान ने रूस से 12.7 लाख टन नेफ्था खरीदा। सिंगापुर, मलेशिया, तुर्की और चीन भी जून में रूसी नेफ्था खरीदने वाले प्रमुख देशों में शामिल थे।

दूसरे देशों की क्या स्थिति?

शिप-ट्रैकिंग डेटा से पता चला कि जून में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के फुजैराह में रूस से कोई माल नहीं आया। मई में रूस ने यूएई को 80,000 टन नेफ्था भेजा था। करीब 300,000 टन रूसी नेफ्था लेकर जहाज दक्षिणी अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप के रास्ते एशिया की ओर जा रहे हैं। मई में एशिया को 150,000 टन नेफ्था मिला था। दिसंबर 2023 से व्यापारी यमन के हूती समूह द्वारा हमलों के खतरे के कारण लाल सागर से बच रहे हैं। इसलिए, वे अफ्रीका के आसपास से रूसी तेल उत्पादों को भेज रहे हैं।

ऊपर दिया गया सारा शिपिंग डेटा माल के रवाना होने की तारीख पर आधारित है। इसका मतलब है कि डेटा बताता है कि माल कब बंदरगाह से निकला, न कि कब वह अपनी मंजिल पर पहुंचा।

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