जीएसटी सुधार: महँगाई पर लगाम या राजस्व पर बोझ? जानिए क्या कहती है नई व्यवस्था

रायपुर: जीएसटी परिषद ने कर ढांचे में बड़े और ऐतिहासिक सुधार को मंजूरी दी है। अब पूरे देश में सिर्फ दो दरें – 5% और 18% लागू होंगी। इसे केवल टैक्स सुधार न मानकर, एक नई अर्थव्यवस्था की दिशा में उठाया गया ठोस कदम माना जा रहा है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य और घरेलू मजबूती

आज वैश्विक परिदृश्य अनिश्चितताओं से भरा है। अमेरिका टैरिफ को हथियार बनाकर अपने हितों में व्यापार समझौते कर रहा है। लेकिन भारत किसी भी ऐसे समझौते के लिए तैयार नहीं है जो किसानों, छोटे व्यापारियों या पशुपालकों के हितों के खिलाफ हो। ऐसे में सबसे बड़ा समाधान यही है कि घरेलू खपत, माँग और निवेश को सुधारों के जरिए प्रोत्साहित किया जाए। यही भारत की जीडीपी को स्थिर और मजबूत बनाए रखेगा और दुनिया में वैकल्पिक बाज़ारों तक पहुँचने का अवसर देगा।

खपत और निवेश को मिलेगा लाभ

भारत की जीडीपी का लगभग 60% हिस्सा खपत से आता है। इसे टिकाए रखने के लिए आय वृद्धि और महँगाई नियंत्रण ज़रूरी है। सरकार ने इसी सोच से दो बड़े कदम उठाए हैं:

  1. ₹12 लाख तक आयकर छूट – जिससे लोगों की जेब में अधिक पैसा बचेगा और खपत बढ़ेगी।
  2. जीएसटी दरों का सरलीकरण – अब केवल दो स्लैब होंगे।
    1. 12% की ज्यादातर वस्तुएँ 5% पर आ जाएँगी।
    1. 28% की अधिकतर वस्तुएँ 18% पर शिफ्ट होंगी।

इससे रोजमर्रा की चीज़ें सस्ती होंगी, महँगाई पर लगाम लगेगी और माँग को रफ्तार मिलेगी। कीन्स का ‘उपभोग-सिद्धांत’ भी यही कहता है कि अतिरिक्त आय का बड़ा हिस्सा खपत पर जाता है, जिससे उत्पादन और रोजगार को गति मिलती है।

क्या राजस्व पर असर पड़ेगा?

सरकार को शुरू में लगभग ₹50,000 करोड़ (0.15% जीडीपी) की राजस्व हानि का अनुमान है। लेकिन लंबे समय में कर संग्रह बढ़ने की संभावना अधिक है।
‘लैफर कर्व सिद्धांत’ के अनुसार, सरल और तर्कसंगत कर-दरें चोरी को घटाती हैं और टैक्स बेस बढ़ाती हैं। इससे राजस्व न केवल वापस आता है बल्कि और तेज़ी से बढ़ता है।

डिरेगुलेशन और जन विश्वास अभियान 2.0

सुधार केवल टैक्स तक सीमित नहीं हैं। सरकार ने कारोबारी माहौल आसान बनाने के लिए जन विश्वास अधिनियम 2023 और अब जन विश्वास बिल 2.0 लाया है।

  • 288 धाराओं को अपराधमुक्त किया गया।
  • 67 धाराओं में संशोधन कर अनुपालन बोझ कम किया गया।
  • पिछले 10 वर्षों में 40,000 से अधिक अप्रासंगिक अनुपालनों को खत्म किया गया।

बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा 74% से बढ़ाकर 100% कर दी गई है। साथ ही, राजमार्ग, रेलवे और बंदरगाहों में लगभग 10 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्ति मोनेटाइजेशन की योजना है। ये कदम विदेशी निवेश और प्रतिस्पर्धा को आकर्षित करेंगे।

आगे की राह

नई जीएसटी व्यवस्था से:

  • रोजमर्रा की चीज़ें सस्ती होंगी।
  • मध्यम वर्ग की बचत बढ़ेगी।
  • खपत और निवेश का नया चक्र शुरू होगा।
  • स्टार्टअप्स और उद्योग अनुपालन बोझ से मुक्त होकर नवाचार कर पाएँगे।

लेकिन सफलता क्रियान्वयन पर निर्भर करेगी।

  • केंद्र को राज्यों को संभावित राजस्व-हानि की भरपाई का भरोसा देना होगा।
  • राज्यों को अपने स्तर पर नियम सरल करने होंगे।

यदि यह तालमेल कायम रहा तो भारत आने वाले वर्षों में 7-8% सतत आर्थिक वृद्धि हासिल कर सकता है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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