RBI MPC बैठक: जानिए वे 5 अहम वजहें जिनकी वजह से नहीं घटी ब्याज दरें – आपके वित्त पर क्या होगा असर?

नई दिल्ली/सूत्र: भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बड़ा फैसला लिया है। अगस्त में हुई अपनी नीति बैठक में रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को यह घोषणा की। रेपो रेट में बदलाव न होने से अभी न तो लोन सस्ता होगा और न ही ईएमआई का बोझ हल्का होगा। यानी आपको अभी महंगी दर पर ही लोन लेना होगा।

एमपीसी की बैठक 4, 5 और 6 अगस्त को हुई थी। इस बैठक में आर्थिक और वित्तीय स्थितियों का ध्यान से जायजा लिया गया। इसके बाद यह फैसला लिया गया। गवर्नर ने बताया कि एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने एकमत से रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने के लिए वोट किया। रेपो रेट वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को लोन देता है। गवर्नर ने कहा कि आर्थिक और वित्तीय विकास और संभावनाओं का आकलन करने के बाद MPC ने सर्वसम्मति से नीतिगत दर को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है।

बदलाव न करने के 5 कारण

इससे पहले जून में हुई पिछली नीति बैठक में एमपीसी ने रेपो रेट को 50 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया था। इसका कारण यह था कि महंगाई कम हो रही थी। इस बार इन 5 कारणों से रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया:

महंगाई में कमी

    महंगाई में कमी होने के कारण भी रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। भारत में खुदरा महंगाई लगातार गिर रही है। यह अब छह साल से भी ज्यादा के निचले स्तर पर पहुंच गई है। सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार, जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित साल-दर-साल महंगाई दर 2.10 प्रतिशत थी। यह मई 2025 की तुलना में 72 बेसिस पॉइंट्स की गिरावट है। जनवरी 2019 के बाद यह सबसे कम CPI महंगाई दर है। CPI वह पैमाना है जिससे पता चलता है कि चीजों के दाम कितने बढ़े हैं।

    खाने-पीने की चीजों के दाम भी गिरे

      खाने-पीने की चीजों के दाम भी गिरे हैं। जून में उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) में साल-दर-साल महंगाई दर (-) 1.06 प्रतिशत रही। गांवों में खाद्य महंगाई दर (-) 0.92 प्रतिशत थी, जबकि शहरों में यह (-) 1.22 प्रतिशत थी। इसका मतलब है कि खाने-पीने की चीजें पिछले साल के मुकाबले सस्ती हो गई हैं।

      थोक महंगाई में भी गिरावट

        थोक महंगाई भी नकारात्मक हो गई है। जून में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) (-) 0.13 प्रतिशत रहा, जबकि मई में यह 0.39 प्रतिशत था। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा कि डब्ल्यूपीआई में गिरावट का कारण खाद्य वस्तुओं, खनिज तेलों, बुनियादी धातुओं, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की कीमतों में कमी है। डब्ल्यूपीआई वह पैमाना है जिससे पता चलता है कि थोक में चीजों के दाम कितने बढ़े हैं।

        अर्थव्यवस्था में तेजी

          रिजर्व बैंक के गवर्नर ने बैठक में कहा कि अच्छे मानसून और आने वाले त्योहारी सीजन से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यानी, आने वाले दिनों में बाजार में रौनक देखने को मिल सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था मध्यम अवधि में मजबूत विकास दर्ज करने की उम्मीद है। वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता के बावजूद, सरकार और RBI की सहायक नीतियों से इसे समर्थन मिलेगा।

          पूर्व में 100 बेसिस पॉइंट की कमी

            रिजर्व बैंक इस साल फरवरी से लेकर अब तक रेपो रेट में 100 बेसिस पॉइंट्स की कमी कर चुका है। आरबीआई गवर्नर ने इस कटौती का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इसका असर अर्थव्यवस्था पर अभी भी हो रहा है। माना जा रहा है कि इतनी कटौती के बाद इस समय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में फिलहाल नई कटौती को मुनासिब नहीं समझा।

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