जानें: डीएपी खाद की कमी पर क्या कहती है सरकार?

नई दिल्ली/सूत्र: रबी फसलों की बुआई चल रही है और कई राज्यों से डीएपी खाद की कमी की बातें आ रही हैं। किंतु, केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि वैश्विक व्यवधान के बावजूद चालू रबी मौसम में डीएपी की कमी नहीं है। राज्यों को जरूरत से ज्यादा सप्लाई की जा रही है। पूरे रबी मौसम में लगभग 52 लाख टन डीएपी की जरूरत है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का आंकड़ा बता रहा है कि अभी तक 38 लाख टन की सप्लाई हो चुकी है। शेष की आपूर्ति भी समय से कर दी जाएगी। देश में दिसंबर के मध्य तक किसानों को कुल 35.52 लाख टन डीएपी की जरूरत है, जिसकी तुलना में अभी तक तीन लाख टन ज्यादा सप्लाई की जा चुकी है।

हालांकि मंत्रालय के सूत्रों का मानना है कि कभी-कभी कुछ स्थानों के लिए खाद के रेक आने में एक-तीन दिन विलंब हो जाता है। इससे स्थानीय स्तर पर कहीं-कहीं कमी पड़ जाती हैं। मंत्रालय का दावा है कि विभिन्न राज्यों को भेजे गए डीएपी की पूरी बिक्री नहीं हो पाई है। राज्यों के पास 9.05 लाख टन का स्टॉक पड़ा हुआ है।

पंजाब में रबी मौसम में 4.5 लाख टन डीएपी की जरूरत है। अभी तक चार लाख टन डीएपी की आपूर्ति की जा चुकी है। हरियाणा में 2.60 लाख टन डीएपी की जरूरत है, जिसमें 95 प्रतिशत की आपूर्ति कर दी गई है। बिहार में कुल 2.45 लाख टन डीएपी की जरूरत है। इसमें अभी तक 2.24 लाख टन मिल चुका है। अब सिर्फ 21 हजार टन और चाहिए।

डीएपी की क्यों होती है कमी

भारत में डीएपी की कमी कई कारणों से हो जाती है। उर्वरकों के लिए भारत 60 प्रतिशत आयात पर निर्भर है। आयात में व्यवधान पर डीएपी की कमी पड़ने लग जाती है। अभी सबसे बड़ी बाधा लाल सागर है, जहां हूती विद्रोहियों के हमले के चलते परंपरागत मार्ग अवरुद्ध हुआ है।

इसके चलते उर्वरक जहाजों को केप ऑफ गुड होप के रास्ते लाना पड़ रहा है। यह सामान्य दूरी से 65 सौ किलोमीटर ज्यादा है। इससे तीन सप्ताह अधिक समय लग रहा है। लागत में वृद्धि हो जा रही है। उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार कदम उठाती है।

इस बार भी उर्वरक कंपनियों के जरिए कई देशों के संपर्क में है। साथ ही घरेलू स्तर पर कालाबाजारी रोकने और किसानों को पर्याप्त डीएपी उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक मौसम के शुरू होने से पहले कृषि मंत्रालय सभी राज्यों के साथ विमर्श करती है। आवश्यकता का आकलन करती है। प्रत्येक सप्ताह राज्यों के साथ कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा करती है। उर्वरकों की राज्यवार मांग और राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादन के बीच के अंतर को आयात के जरिए पूरा किया जाता है।

डीएपी के लिए लगभग 30 प्रतिशत कच्चा माल जार्डन से आता है और 15 प्रतिशत इजरायल से आयात किया जाता है। सरकार ने इस बार वैश्विक व्यवधान को देखते हुए अतिरिक्त उर्वरक के लिए मोरक्को, मिस्त्र एवं सऊदी अरब समेत कई देशों से कच्चे माल के आयात बढ़ाने के अवसरों की खोज की है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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