गेंदा फूल की खेती कम लागत में अधिक आमदनी
उत्तर बस्तर कांकेर : जिले के किसानों द्वारा धान के अलावा दलहन, तिलहन एवं अन्य नकदी फसलों की खेती की जा रही है, ताकि उन्हें कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त हो सके। नकदी फसलों की खेती में उद्यानिकी विभाग की तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है। कांकेर के विकासखण्ड ग्राम गढ़पिछवाड़ी के किसान अश्वनी पटेल एवं मिलन पटेल द्वारा बंजर भूमि में गेंदा फूल की खेती की जा रही है, जिसके लिए उन्हें उद्यानिकी विभाग द्वारा शत-प्रतिशत अनुदान पर गेंदा फूल के कलकतीया किस्म के पौधे प्रदाय किया गया।
उन्होंने बताया कि पहले वह धान की खेती करता था, उद्यानिकी विभाग द्वारा मुझे गेंदे की खेती करने की सलाह दी गई। उद्यानिकी विभाग से अनुदान पर प्राप्त गेंदे पौधे की बुवाई के उपरान्त उन्होंने पाया कि अन्य धान्य एवं सब्जी फसल के तुलना में गेंदा फूल में अल्प मात्रा में खाद, दवाई एवं निंदाई गुड़ाई लगता है तथा कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाले फसल है और इनकी खेती वर्षभर की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि धार्मिक एवं त्यौहारों के समय में इसकी अधिक मांग रहती है एवं मूल्य भी अधिक मिलता है। उनके द्वारा दीपावली त्यौहार के समय लगभग 110 से 130 किलोग्राम फूल की तुड़ाई किया गया, जिसे 50 से 60 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय किया गया और माला बनाने पर प्रति नग 40 से 50 रूपये बेचने पर उसे लगभग 12000 की शुद्ध आमदनी प्राप्त हुई। उन्होंने बताया कि बाजारों में विक्रय के आलावा शादियों तथा अन्य कार्यक्रमों में भी फूल की अच्छी मांग है।
अभी फूल की अंतिम तुड़ाई शेष है जिससे लगभग दो हजार और आमदनी मिलने की संभावना है। इस प्रकार 10 डिसमिल में गेंदा खेती से 12 हजार रूपये की आय प्राप्त हो रही है। धान की खेती से प्रति डिसमिल लगभग 250 रूपये एवं सब्जी खेती से 600 रूपये जबकि गेंदा फूल उत्पादन से प्रति डेसिमल 1200 रूपये प्राप्त हो रहा है। फूल की खेती में प्रतिस्पर्धा भी नहीं है।
सहायक संचालक उद्यानिकी विभाग के अनुसार ग्राम गढपिछवाड़ी में कृषक श्याम पटेल, मिलन पटेल, रतिराम पटेल, श्रीमती सेवती बाई, राजूराम पटेल, सेत कुमार जैन, श्रीमती अहिल्या मरकाम, रामकुमार नागवंशी एवं भारत रवतिया सहित अन्य किसानों द्वारा गेंदा फूल की खेती कर अच्छी आमदनी प्राप्त की जा रही है।