माटी कला व सुंदर कलाकृतिया बन रहा आजीविका का साधन
गरियाबंद : छुरा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत लोहझर की पूजा एकता समूह से जुड़ी श्यामा चक्रधारी व तोरण चक्रधारी अपनी मेहनत व दृढ़ निश्चय से माटी कला को अपना आजीविका मानकर परिवार की आर्थिक मदद कर रही है। माटी की सुंदर व अप्रतिम कलाकृतियों/बर्तन इत्यादि बनाकर माटी संगवारी के रूप में पहचानी जाने लगी है। माटी से विभिन्न प्रकार की मूर्तिया, सजावटी गमले, सजावटी गुल्लक, माटी बर्तन, विभिन्न पर्व व त्यौहारे पर अलग अलग कलाकृतिया इत्यादि बना कर अच्छी आमदनी कमा रही है। ये दोनो दीदियां राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान से 2013 से जुडी है। जहां से बचत की परंपरा को शुरू कर विभिन्न प्रशिक्षणों में प्रतिभागिता कर कुछ करने का हौसला व अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने का जिम्मा स्वयं के कंधो पर लेकर आगे बढ़ी।
विदित हो कि ये दीदिया गरीबी रेखा से नीचे परिवार से संबधित है इन्हें प्रधानमंत्री आवास से पक्का छत मिला हुआ है। शुरूआत से ये दीदिया घर पर ही माटी के मटके व अन्य पारम्परिक सामग्रियों का निर्माण किया करती थी साथ ही मनरेगा में मजदूरी कर अपना जीवन यापन करती थी। बिहान अंतर्गत शुरूआती ग्रामीण उद्यमिता परियोजना के तहत इनका चिन्हांकन किया गया। इन्हें जोडकर इनके माटी व्यवसाय को उन्नत दिशा देने का कार्य बिहान टीम व सीआरपी ईपी दीदियो द्वारा किया गया। इस परियोजना से जोडकर इन दीदियों को अपने माटी कला को किस तरह से आर्कषक रूप देना , बाजार का चिन्हांकन, बजार में प्रस्तुतीकरण, माटी कला उन्नत कलाकृतियों को बढ़ावा देना, आय व्यय का लेखाजोखा इत्यादि का प्रशिक्षण देकर इनकी क्षमता का विकास किया गया।
दोनो दीदियों को माटी कला बोर्ड, गरियाबंद से समन्वय का इलेक्ट्रानिक चाक व आवश्यक प्रशिक्षण प्रदाय कराया गया। क्षमता विकास उपरांत तोरण चक्रधारी द्वारा पूजा एकता समूह से तीस हजार व श्यामा चक्रधारी द्वारा 60 हजार रू का ऋण अपने व्यवसाय को अधिक उचाई व व्यवसायिक रूप देने हेतु लिया गया। इसके महिलाओं ने दिनरात मेहनत कर पहले से अधिक आकर्षक व डिजाईन एव रंगीन माटी की कलाकृतिया, मूर्तिया व अन्य समाग्रिया बनाई जाने लगी। जिले के अन्य विकासखण्डों के साथ स्थानीय बाजारों में इनके सामग्रियों की मांग निरंतर बढती रहीं । साथ ही अन्य व्यपारिक संस्थानों द्वारा दीदियों को अग्रिम सामग्रियों की मांग भी मिल रही है। वर्तमान में दोनो दीदियों को औसतन 10 से 12 हजार तक की विक्रय हो रहा है जोकि विशेष पर्व व त्योहारों मे 40 से 50 हजार तक की बिक्री मासिक की जा रही है। आज दोनो दीदियों द्वारा अपनी आमदनी से समूह से लिये ऋण की अदायगी पूर्ण हो चुकी है। वर्तमान में दीदियों द्वारा बनाई जा रही कलाकृतियों को अधिक से अधिक बाजार उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है।
पारंपरिक आजीविका को उन्नत रूप देने में अन्य दीदियों के प्रेरणा का कारण बन रही है। इसी तरह बिहान व शुरूआती ग्रामीण उद्यमिता परियोजना श्री चन्द्रकांत वर्मा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत गरियाबंद के सतत् मार्गदर्शन में समूह की दीदीयों की आजीविका हेतु नित नवीन प्रयास किये जा रहे है। जो जमीनी स्तर पर परिलक्षित होने लगा है। छुरा जनपद की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुश्री रूचि शर्मा द्वारा निरंतर मॉनीटरिंग व क्षेत्र भ्रमण कर महिलाओं को स्थानीय बाजार के अनुसार आजीविका हेतु लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस कार्य में श्री अमर सिंह, प्रभारी स्वेप, श्री विरेन्द्र सिंह, बीपीएम, एसवीपी, सुभाष निर्मलकर, बीपीएम, संजू गिलहरे, वायपी, घनश्याम सिंहा, एसी व समस्त बिहान टीम द्वारा सतत महिलाओं की आजीविका संवर्धन व नये आयाम प्रदान करने का सराहनीय कार्य किया जा रहा है।