मुद्रा योजना से बड़ी संख्या में पैदा हुआ रोजगार: वित्त मंत्री

नई दिल्ली/सूत्र: मुद्रा योजना की आठवीं वर्षगांठ पर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस योजना ने जमीनी स्तर पर बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद की है और भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ-साथ गेम चेंजर साबित हुई है। 8 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुद्रा योजना की शुरुआत की। आय सृजन गतिविधियों के लिए गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु और सूक्ष्म उद्यमियों को 10 लाख रुपये तक गिरवी-मुक्त सूक्ष्म ऋण तक आसान पहुंच प्रदान करने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की गई थी।

वित्त मंत्री के मुताबिक मुद्रा योजना के शुरू होने से लेकर इस साल 24 मार्च तक 40.82 करोड़ कर्ज खातों में 23.2 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए जा चुके हैं। 68 प्रतिशत ऋण खाते महिला उद्यमियों के हैं और 51 प्रतिशत ऋण खाते एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के उद्यमियों के हैं। इन आँकड़ों से पता चलता है कि देश के नवोदित उद्यमियों को ऋण की आसान उपलब्धता के परिणामस्वरूप नवाचार और प्रति व्यक्ति आय में निरंतर वृद्धि हुई है।

वित्तीय समावेशन कार्यक्रम तीन स्तंभों पर आधारित है

वित्त मंत्री ने कहा कि देश में वित्तीय समावेशन कार्यक्रम का क्रियान्वयन तीन स्तंभों पर आधारित है। अनबैंक्ड को बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करना, वित्तीय रूप से असुरक्षित लोगों को सुरक्षित करना और वित्तीय फंड से वंचितों को फंड मुहैया कराना। उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना के माध्यम से वित्तीय समावेशन के तीसरे स्तंभ का उद्देश्य पूरा किया जा रहा है।

युवा उद्यमियों को मदद मिली

सीतारमण ने कहा कि इस योजना ने सूक्ष्म उद्यमियों को बिना किसी परेशानी के ऋण प्राप्त करने में सक्षम बनाया है और बड़ी संख्या में युवा उद्यमियों को अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद की है। मुद्रा योजना को बढ़ावा देने की सरकार की नीति ने लाखों एमएसएमई को औपचारिक अर्थव्यवस्था में ला दिया है और उन्हें उच्च ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करने वाले साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालने में मदद की है।

मुद्रा लोन को तीन कैटेगरी में बांटा गया है। ये शिशु (50,000 रुपये तक के ऋण), किशोर (50,000 रुपये से अधिक और 5 लाख रुपये तक के ऋण) और तरुण (5 लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये तक के ऋण) हैं। शिशु ऋण मुद्रा योजना के तहत स्वीकृत ऋणों का 83 प्रतिशत है। किशोर की 15 फीसदी और तरुण की महज दो फीसदी हिस्सेदारी है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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