भारत में राष्ट्रीय खिलौना नीति जल्द

रायपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम में भारतीय खिलौनों को वैश्विक खिलौना बाजार में बड़ी भूमिका निभाने हेतु प्रेरित करने को कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने महत्वपूर्ण घटना बताया है। कैट का कहना है कि इससे यह स्पष्ट है कि सरकार की बुनियादी नीति में एक बड़ा परिवर्तन आया है और अब सरकार भारतीय उत्पादों को प्रोत्साहित करते हुए देश को आत्मनिर्भर बनाकर विदेशी सामान की निर्भरता को कम करने के लिए पूरी तरह जुट गयी है। अब देश का खिलौना उद्योग सरकार की प्राथमिकता में आ गया है, जो देश के व्यापारियों एवं लघु उद्योग के लिए एक शुभ संकेत है।

इस संबंध में कैट ने एक राष्ट्रीय खिलौना नीति और एक विशेषज्ञ समिति के गठन का आग्रह किया है। कैट का कहना है कि इस समिति में वरिष्ठ अधिकारी व व्यापार के प्रतिनिधि शामिल हों और भारत में खिलौना क्षेत्र का गहन अध्ययन और यांत्रिक व इलेक्ट्रॉनिक दोनों तरह के खिलौनों के उत्पादन में वृद्धि के लिए आवश्यक उपाय सरकार को सुझाएं।
एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में भारत में खिलौना बाजार का सालाना कारोबार लगभग रुपये 25 हजार करोड़ रुपये का है, जिसमें चीन का हिस्सा लगभग 65% है और लगभग 5% खिलौने अन्य देशों से आयात किए जाते हैं। शेष 30% खिलौने भारत में निर्मित होते हैं। भारत में प्राथमिक, सूक्ष्म और कुटीर क्षेत्रों में लगभग 6000 से अधिक खिलौना निर्माता हैं। चीन के अलावा भारत थाइलैंड, कोरिया और जर्मनी से भी खिलौने आयात करता है। चीन ने विशेष रूप से पिछले 5 वर्षों में खिलौनों के क्षेत्र में अत्यधिक वृद्धि की है और भारतीय बाजार में अपने कम मूल्य के खिलौना उत्पादों के साथ आक्रामक रूप से चीनी खिलौनों को उतारा है।
भारतीय खिलौने अधिक टिकाऊ और मजबूत हैं लेकिन विभिन्न कारणों से भारतीय खिलौने महंगे हो जाते हैं। भारतीय खिलौना क्षेत्र को अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, जो भारत में इस क्षेत्र के विकास के लिए बाधक हैं। इसके फलस्वरूप इन उत्पादों के लिए चीन पर निर्भरता काफी हद तक बढ़ी है। हालांकि, भारतीय खिलौने निर्यात के लिए बेहद सक्षम हैं लेकिन इसके लिए खिलौना क्षेत्र को समर्थन देने के लिए सरकार की एक मजबूत नीति की आवश्यकता है।