रबी फसलों की बोनी के लिए बेहद उपयोगी है हैप्पी सीडर

नम्रता माही/रायपुर : रबी फसलों की बोनी कम लागत और समय पर हो सके, इसको लेकर कृषि विभाग द्वारा किसानों को हैप्पी सीडर यंत्र के उपयोग की समझाइश देने के साथ ही खेतों में इसका प्रदर्शन भी किया जा रहा है। किसानों को इससे फसलों की बोआई का तरीका भी सिखाया जा रहा है। हैप्पी सीडर यंत्र से धान के अवशेष को हटाए बिना गेंहू फसल की बोनी की जा सकती है। इसके उपयोग से मिट्टी की नमी व उर्वरा शक्ति बरकरार रहने साथ ही खेती की लागत में कमी और बीज-खाद की भी बचत होती है। गेंहू बुआई की समय ही ट्रैक्टर और रोटावेटर से होनी वाली जोताई का खर्च बचने से ही किसानों को लगभग 5 हजार रूपए प्रति एकड़ के मान से बचत हो जाती है।

हैप्पी सीडर यंत्र में दो टैंक (बॉक्स) होते हैं, जिसमें खाद और बीज अलग-अलग भरा जाता है। हैप्पी सीडर यंत्र के अगले हिस्से में कटर होता है, जो धान के अवशेष को काटकर मिट्टी में दबा देता है। जिससे अवशेष में फंसा बीज भूमि में गिर जाता है। धान फसल अवशेष मिट्टी में मिलकर कम्पोस्ट बन जाता है। जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में बढ़ोतरी होती है। खेत की नमी बरकरार होने से अंकुरण बेहतर होता है। छत्तीसगढ़ शासन की नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना के अंतर्गत बिलासपुर जिले के तखतपुर विकासखण्ड सुराजी गांव पाली में 23 नवम्बर को कृषक कुलदीप मिश्रा के खेेत में हैप्पीसीडर यंत्र के माध्यम से गेंहू की बुआई का प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया है। यह कार्यक्रम आत्मा योजना के अंतर्गत कृषि एवं कृषि अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा आयोजित किया गया था। कृषक कुलदीप मिश्रा के एक एकड़ खेत में रबी फसल गेंहू की बुआई हैप्पी सीडर के माध्यम से की गई। जिसका अवलोकन आसपास के ग्रामीणों ने किया। तखतपुर ब्लॉक के अन्य गांवों के चयनित 14 किसानों के यहां भी हैप्पी सीडर के माध्यम से गेंहू की बुआई का प्रदर्शन लिया जा रहा है। 

गेंहू की परंपरागत तरीके से बुआई के बजाए हैप्पी सीडर से बुआई में लागत कम आती है। अपर संचालक कृषि श्री चंद्रवंशी ने बताया कि धान के कटाई के उपरांत रबी फसल की बोनी के लिए 15 दिन का समय लगता है। जिससे बुआई पिछड़ जाती है। परंपरागत बुआई के तरीके में खेत को ट्रैक्टर से दो बार जुताई के बाद एक बार रोटावेटर चलाना पड़ता है। हैप्पी सीडर यंत्र के उपयोग से खरीफ फसल की कटाई के उपरांत भूमि की नमी का उपयोग करते हुए एक ही बार में खेत की जुताई के बाद बीज की बुआई व उर्वरक का उपयोग होता है। गेंहू की बुआई के लिए ट्रेक्टर से जुताई एवं रोटावेटर का उपयोग न करने से लगभग 5 हजार रूपए की बचत प्रति एकड़ के मान से हो जाती है। हैप्पी सीडर यंत्र के उपयोग से बीज एवं खाद की भी बचत होती है। हैप्पी सीडर के माध्यम से प्रति एकड़ बोआई में 25 किलो गेंहू एवं 20 किलो उर्वरक का उपयोग लगता है। 

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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