धमतरी : रेत की चोरी में प्रशासन का सहयोग, चादर ओढ़कर सो रहे अधिकारी
धमतरी/कारोबार संदेश : एनजीटी का नियम है कि बारिश में नदी-नालों से रेत उत्खनन नही किया जाए, लेकिन यह आदेश अधिकारियों के निर्देश तक ही सीमित है। पैरीनदी/महानदी में रेत उत्खनन जारी है और वह भी मशीनों से। इस रोकने ग्रामीणों/एवं पत्रकारो की ओर से आ रही शिकायतों को अधिकारी कचरे में फेंक रहे हैं। अवैध रेत खनन पर क्षेत्र के विपक्ष के नेताओं ने भी मौन साध लिया हैं। बारिश की कमी में नदी में बाढ़ नहीं आने का लाभ रेत माफिया उठा रहा है।
अवैध रेत खनन के मामले में कार्रवाई का अधिकारी खनिज अधिकारी के साथ-साथ एसडीएम, तहसीलदार और पुलिस को भी होता है। लेकिन पूरे धमतरी जिले में अवैध रेत खनन चरम पर है, विभिन्न अखबारों में अवैध खनन की खबरें छप रही हैं। इसके बावजूद जिला प्रशासन मौन रहकर रेत चोरों को समर्थन दे रहा हैं। जिले का दुर्भाग्य, हैं कि प्रशासन रेत माफिया से डरा हुआ है।
नदी से अधिक से अधिक रेत निकलने की कोशिश की जा रही है। मगरलोड ब्लॉक में 40 किमी के दायरे में नदी में जहां रेत मिले मशीनों से उत्खनन हो रहा है। रायपुर से लेकर नागपुर तक ट्रको से पहुंचाई जा रही रेत। रेत माफियाओं के अलावा रेत चोरी में ट्रेक्टर मालिकों का भी बड़ा गिरोह सक्रिय हैं। सूत्रों के अनुसार 200 ट्रेक्टर प्रति दिन नदी से रेत निकाल रहे हैं।
वही दूसरी ओर डंप रेत की आड़ में नदी से रेत की चोरी हो रही है। खदानें बंद होने से रेत माफिया अब जहां रेत मिल जाए मशीन से उत्खनन कर रहा है। रेत भरे डंपरों से टपकता पानी बता रहा है कि नदी से रेत निकाली जा रही है। रेत माफियों ने एक से अधिक स्थानों पर रेत डंप कर रखी है। इस में लाढेर, पाहन्दा, कुल्हाड़ीकोट, विजयपूर में रेत डंप की गई है।
अवैध खनन और उसके परिवहन के कारण ग्रामीण सड़कें उखड़ रही हैं। लगातार सड़कों के खराब होने की शिकायत के बावजूद प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं होने से अब ग्रामीण सड़क पर डंपरों को रोककर आंदोलन शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।