विज्ञान दिवस पर, पर्यावरण सुरक्षा तकनीकी विषय पर एक दिवसीय ई कॉन्फ्रेंस का आयोजन
छुरा : आईएसबीएम विश्वविद्यालय में विज्ञान संकाय, के तत्वधान में दिनाक 28.02.2022 को विज्ञान दिवस के अवसर पर ई कांफ्रेंस का आयोजन किया गया जिसका विषय *सतत विकास और पर्यावरण सुरक्षा तकनीकी* रखा गया था। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की पूजा अर्चना एवं दीप प्रज्वलित कर हुआ साथ में राजकीय गीत का प्रसारण हुआ। विश्वविद्यालय के डीन डॉ एन कुमार स्वामी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विज्ञान दिवस मनाने के कारण बताया साथ ही रमन प्रभाव को समझाया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. बी.पी. भोल ने बताया की प्रत्येक वर्ष नेशनल विज्ञान दिवस पर एक विषय दिया जाता है 2022 के लिए विज्ञान दिवस का विषय इंटीग्रेटेड एप्रोच इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी फॉर अ सस्टेनेबल फ्यूचर को बताया। विश्वविधालय के कुलपति डॉ. आनंद महलवार, ने सतत विकास और पर्यावरणसुरक्षा तकनीकि में प्रकाश डालते हुए बताया कि इसका उपयोग करके हम पर्यावरण को कैसे बचा सकते है।
इसके पश्चात कार्यक्रम में प्रथम तकनीकी सत्र की शुरुवात हुई जिसमे सेशन चेयर डॉ कुसमंजली देशमुख सहायक प्रध्यापक शासकीय वीवायटी पी जी कॉलेज दुर्ग जी थी जो मुख्य वक्ता नितिन बैरागी साइंसटिस्ट ऑफिसर ई इंस्टीट्यूट प्लाज्मा रिसर्च गांधीनगर को तकनीकी सत्र के लिए आमंत्रित किया तथा अंत में सारांश के साथ आभार वयक्त किया साइंटिस्ट श्री नितिन बैरागी ने बताया सुपर कंडक्टर विज्ञान के सभी विभागों के लिए उपयोगी है तथा इसके भविष्य में काफी संभावना है जो सस्टेनेबल डेवलपमेंट को जोड़ती है तथा विकास को आगे बढ़ाती है।
द्वितीय तकनीकी सत्र का सेशन चेयर डॉ वी कोला डीन स्कूल ऑफ साइंस कलिंगा यूनिवर्सिटी ने इस सत्र के मुख्य वक्ता डॉ अविनाश जैन साइंसटिस्ट एफ हेड फॉरेस्ट इकोलॉजी एंड क्लाइमेट चेंज डिवीजन ट्रॉपिकल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, जबलपुर को तकनीकी सत्र के लिए आमंत्रित किया तथा अंत में सारांश के साथ उनका आभार वयक्त किया। साइंसटिस्ट डॉ अविनाश जैन ने बताया कि कार्बन डाइऑक्साइड सबसे अधिक उत्पादित ग्रीनहाउस गैस है। कार्बन पृथक्करण वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़ने और संग्रहीत करने की प्रक्रिया है। यह वैश्विक जलवायु परिवर्तन को कम करने के लक्ष्य के साथ वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को कम करने का एक तरीका है। साथ ही कार्बन के प्रभाव से पेड़ पौधों में डिफेंट प्रकार के बीमारी के बारे में बताया।
अंतिम तकनीकी सत्र में सेशन चेयर डॉ विकास दुबे बी आई टी रायपुर ने मुख्य वक्ता डॉ उमेश कुमार तिवारी, प्रिंसिपल साइंटीज सीएसईआर सीएसआईओ चंडीगढ़ को तकनीकी सत्र के लिए आमंत्रित किया तथा अंत में सारांश के साथ उनका आभार वयक्त किया। साइंसटिस्ट डॉ उमेश कुमार तिवारी ने अपने वक्तव्य में बताया की फाइबर बैग ग्रेटिंग सेंसर के अलग अलग क्षेत्रों में उपयोग के साथ अत्याधुनिक सिलिका ग्लास ऑप्टिकल फाइबर बहुत कम ऑप्टिकल नुकसान के साथ दसियों किलोमीटर से अधिक प्रकाश संकेतों को ले जा सकते हैं और उच्च क्षमता वाले संचार नेटवर्क प्रदान कर सकते हैं।
हालांकि, उनकी भंगुरता, कम खिंचाव और ऊर्जा गहनता उन्हें स्थानीय शॉर्ट-रेंज अनुप्रयोगों और ऑटोमोटिव जैसे उपकरणों के लिए कम उपयुक्त बनाती है। कार्यकम में जुड़े हुआ छात्र मृदुल ने कांफ्रेंस पर प्रतिक्रिया देते हुआ कहा कि विज्ञान के प्रभाव से सारा जग जगमाया हुआ है हमे गर्व है की हम विज्ञान के छात्र है, इसी कड़ी में एमएससी रसायन के छात्र कालीचरण ने बताया कि ऐसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम के आयोजन से हमे विज्ञान से जुड़ने का मौका मिलता है तथा वज्ञानिको के अनुभव से हम रूबरू हो पाते हैं।
साथ में रेखा साहू लैब टेक्नीशियन भौतिकी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आईएसबीएम विश्व विद्यालय हमेशा से ही इस प्रकार के कांफ्रेंस के माध्यम से विज्ञान के प्रति सजग करता रहा है अंत में विज्ञान संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ सोहन लाल साहू ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया कार्यक्रम का सफल संचालन शिखा यादव सहायक प्राध्यापक वनस्पति ने किया।