बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने “मोर शिक्षा परी” अभियान का हुआ शुभारंभ
नगरी धमतरी : वनांचल क्षेत्र स्थित आदिवासी विकासखंड नगरी के शालाओं की शैक्षणिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने, शालाओं में अध्ययनरत बच्चों के शैक्षिक विकास में निरंतर प्रगति लाने के लिए, स्कूली बच्चों की शाला में नियमित उपस्थिति, शिक्षकों द्वारा शाला में रोज रोचक ढंग से नि:शुल्क एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रभावी रूप से कार्य किए जा रहे हैं।
इस कड़ी में विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी सतीश प्रकाश सिंह की प्रेरणा और पहल से शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार किया जा रहा हैं। स्कूली बच्चों के सीखने की क्षमता विकास और उपलब्धि परीक्षण के आधार पर अपेक्षित सुधार लाने हेतु विकासखंड शिक्षा अधिकारी के द्वारा स्कूलों मंउ बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए, बालिकाओं की निरंतरता शाला में बनाए रखने के लिए, बालिकाओं की शाला में शत-प्रतिशत नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने तथा बालिका शिक्षा के प्रति पालको, विशेषतः बालिकाओं की माताओं को शिक्षा से जोड़ने हेतु “मोर शिक्षा परी” अभियान प्रारम्भ किया गया हैं।
दिनाँक 1 अक्टूबर को मिडिल स्कूल हरदीभाठा में जनप्रतिनिधियों, पालकों, ग्रामवासियों की उपस्थिति में समुदाय के सहयोग से “मोर शिक्षा परी” अभियान का शुभारंभ बीईओ सतीश प्रकाश सिंह की उपस्थिति में हुआ। माह सितम्बर में मिडिल स्कूल हरदीभाठा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर कक्षा सातवीं की छात्रा कु.प्रियंका बघेल को “शिक्षा परी” के रूप में तथा कक्षा सातवीं के छात्र अरविंद कुमार को “शिक्षा राजकुमार” के रूप में चयनित कर डायरी, कॉपी, पेन, पुष्पगुच्छ भेंटकर तथा मिष्ठान खिला कर उनके माता-पिता तथा ग्रामवासियों की उपस्थिति में सम्मानित किया गया। स्कूल में दोनों बच्चों को इस प्रकार बेहतर पढ़ाई करने, खेल एवं शाला गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर सम्मानित होने से अन्य बच्चों को भी बेहतर ढंग से पढ़ाई करने की प्रेरणा मिल रही हैं।
इस अवसर पर बीईओ सतीश प्रकाश सिंह ने “मोर शिक्षा परी” अभियान का महत्व बताते हुए कहा कि स्कूली बच्चों की शाला में नियमित उपस्थिति, विषय आधारित कक्षा शिक्षण में बच्चों की सक्रियता, विभिन्न शैक्षिक एवं सहायक शिक्षण सामग्रियों के प्रति अभिरुचि, पठन-पाठन में बच्चों की नियमित गतिविधियों आदि बिन्दुओं के आधार पर सभी शालाओं में प्रत्येक माह शनिवार को शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली बालिकाओं को “मोर शिक्षा परी” का टाइटल तथा बालकों को “मोर शिक्षा राजकुमार” का टाइटल प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया जावेगा।