नगर पालिका परिषद गरियाबंद: प्रत्याशी बदलने से समर्थक नाराज, निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी…

गरियाबंद : गरियाबंद नगर निगम चुनाव से पहले अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बदलने से भाजपा में समीकरण बदल गए हैं। भाजपा ने नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद के लिए अधिवक्ता प्रशांत मानिकपुरी के नाम की घोषणा की थी। लेकिन महज 12 घंटे बाद ही भाजपा ने अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बदलकर सबको चौंका दिया। टिकट बदलने से असंतुष्ट हजारों समर्थकों ने अज्ञात स्थान पर बैठक कर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन फार्म लेने का फैसला किया है।
उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता प्रशांत मानिकपुरी 20 वर्षों से वकालत कर रहे हैं तथा लंबे समय से भाजपा के विभिन्न संगठनों में भी अपने दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर चुके हैं। वे सामाजिक/धार्मिक गतिविधियों में हमेशा सक्रिय हैं। अधिवक्ता दुष्यंत सिन्हा और लोकेश साहू ने बताया कि मौजूदा बदले समीकरण से उनके हजारों समर्थक निराश हैं। इसलिए अज्ञात स्थान पर बैठक आयोजित कर अधिकृत प्रत्याशी की जगह निर्दलीय प्रत्याशी उतारने की तैयारी की गई।
मिली जानकारी के अनुसार अधिवक्ता प्रशांत मानिकपुरी, अध्यक्ष पद के प्रत्याशी बदलने से जिला अधिवक्ता संघ गरियाबंद, छत्तीसगढ़ प्रदेश मानिकपुरी समाज के उपाध्यक्ष श्रवण मानिकपुरी, वरिष्ठ पत्रकार सेवकदास दीवान और उनके हजारों समर्थकों में नाराजगी है। पार्टी का यह फैसला न सिर्फ प्रशांत के समर्थकों को पसंद नहीं आया बल्कि यह भाजपा के लिए भी बड़ा झटका साबित हो सकता है। इस मामले में भाजपा के पूर्व घोषित प्रत्याशी प्रशांत मानिकपुरी से भी चर्चा की तो उन्होंने कहा कि मैं भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता हूं, लेकिन पार्टी ने अब तक मुझसे संपर्क नहीं किया मेरे समर्थक काफी नाराज हैं।
भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के सामने प्रशांत मानिकपुरी का निर्दलीय खड़ा होना निश्चित रूप से पार्टी की चुनावी गणित को प्रभावित कर सकता है। एक ओर जहां भाजपा को अपने ही बागी उम्मीदवार से चुनौती मिलेगी। बगावत से बिगड़ सकता है भाजपा का खेल नगर निकाय चुनाव में हर वार्ड की भूमिका अहम होती है। टिकट को लेकर जिस तरह असंतोष सामने आ रहा है, वह चुनावी समीकरण बदल सकता है।
अब देखने वाली बात होगी कि भाजपा नेतृत्व प्रशांत मानिकपुरी को मनाने में सफल होता है या नहीं। नगर निकाय चुनाव के इस सियासी घमासान में अब आगे क्या होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात तय है की राह इस बार आसान नहीं रहने वाली।