छत्तीसगढ़ में जनविश्वास विधेयक पारित: अब छोटी गलतियों पर नहीं होगा आपराधिक मुकदमा, सिर्फ लगेगा जुर्माना

रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को जनविश्वास विधेयक ध्वनिमत से पारित किया गया। यह विधेयक “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” और “ईज ऑफ लिविंग” को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है, जिससे आम नागरिकों और कारोबारियों को छोटी-मोटी तकनीकी त्रुटियों पर आपराधिक कार्रवाई से राहत मिल सके।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे “विकसित भारत, विकसित छत्तीसगढ़” की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करार देते हुए कहा कि यह विधेयक आमजन में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ाएगा। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के बाद देश का दूसरा राज्य है, जिसने यह कानून पारित किया है।
🔹 क्या है जनविश्वास विधेयक?
इस विधेयक के तहत:
- 8 अधिनियमों के 163 प्रावधानों में संशोधन किया गया है।
- तकनीकी या प्रक्रियात्मक त्रुटियों को अब आपराधिक अपराध के बजाय प्रशासनिक आर्थिक दंड (जुर्माना) की श्रेणी में रखा गया है।
- यह विधेयक छोटे व्यापारियों, महिला समूहों, किरायेदारों, मकान मालिकों, सोसायटियों और स्टार्टअप्स के लिए बेहतर और सहज वातावरण तैयार करेगा।
🔹 महत्वपूर्ण संशोधन बिंदु:
- नगरीय प्रशासन अधिनियम: मकान मालिक द्वारा किराया वृद्धि की सूचना न देने पर अब 1,000 रुपये तक का जुर्माना लगेगा, पहले यह आपराधिक अपराध था।
- सोसायटी रजिस्ट्रेशन: वार्षिक रिपोर्ट की विलंबित प्रस्तुति पर अब आपराधिक मुकदमा नहीं, सिर्फ जुर्माना लिया जाएगा।
- छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम, 1915:
- सार्वजनिक स्थान पर पहली बार शराब सेवन करने पर केवल जुर्माना,
- दोबारा ऐसा करने पर जुर्माना + कारावास का प्रावधान।
- सहकारी शब्द के दुरुपयोग पर अब आपराधिक कार्रवाई के बजाय केवल प्रशासनिक दंड लगेगा।
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि इस विधेयक के माध्यम से सरकार का उद्देश्य सुधारात्मक नीति-निर्माण करना है, न कि दंडात्मक शासन प्रणाली को बढ़ावा देना।
🔹 छत्तीसगढ़ के लिए क्यों है यह विधेयक महत्वपूर्ण?
यह विधेयक न केवल न्यायिक बोझ को कम करेगा, बल्कि राज्य में एक विश्वासपूर्ण, जिम्मेदार, और अनुकूल व्यावसायिक वातावरण की स्थापना करेगा। इससे न्यायालयों में लंबित मामूली मुकदमों की संख्या में कमी आने की संभावना है।



