भारत में लैपटॉप आयात पर सख्ती के बाद खुली नींद, Dell-HP-Lenovo लगाने लगी यूनिट!
रायपुर/सूत्र: PLI स्कीम- कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने भारत में लैपटॉप के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी, जिसके बाद दुनिया के सबसे बड़े कंप्यूटर हार्डवेयर और स्मार्टफोन बाजार में डेल, फॉक्सकॉन, एचपी और लेनोवो जैसी कंपनियों ने परफॉर्मेंस लिंक इंसेंटिव स्कीम के लिए आवेदन किया था और केंद्र सरकार ने पीएलआई योजना के लिए 27 कंपनियों का चयन किया है। उम्मीद है कि हार्डवेयर निर्माता कंपनियों के इस कदम से भारत में आईटी हार्डवेयर उद्योग में 3000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और 50000 लोगों को नौकरियां मिलेंगी।
केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी दी है. भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि पीएलआई योजना के तहत मंजूरी प्राप्त 27 कंपनियों में से 23 कंपनियां तुरंत अपना परिचालन और उत्पादन शुरू करने के लिए काम कर रही हैं। भारत सरकार ने हाल ही में आईटी हार्डवेयर सेक्टर के लिए प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव स्कीम शुरू की थी. सरकार को उम्मीद थी कि इससे घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिल सकेगा।
भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि 27 कंपनियों को परफॉर्मेंस लिंक इंसेंटिव स्कीम के तहत मंजूरी मिल गई है। अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि इससे देश में 3000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और 50000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा जबकि 1.5 लाख से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिलेंगे।
एचपी, लेनोवो जैसी बड़ी कंपनियां उन 40 कंपनियों में शामिल हैं जो इस पीएलआई योजना में रुचि रखती हैं। उन्होंने आईटी हार्डवेयर पीएलआई योजना के लिए आवेदन किया था, ये कंपनियां भारत में पर्सनल कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट, सर्वर और संबंधित उपकरण बनाने जा रही हैं। पीएलआई योजना के 5 साल के कार्यकाल के दौरान कंपनियां 4.65 लाख करोड़ रुपये के उत्पाद तैयार कर सकती हैं।
केंद्र सरकार ने 3 अगस्त को लैपटॉप आयात पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की थी। सरकार के मुताबिक उसे विदेशों से आने वाले लैपटॉप और कंप्यूटर के हार्डवेयर की सुरक्षा की चिंता थी, लेकिन सरकार को अमेरिका समेत उद्योग जगत की अग्रणी लैपटॉप कंपनियों से आलोचना का सामना करना पड़ा, एप्पल के साथ-साथ सैमसंग, डेल, लेनोवो और एचपी जैसी कंपनियों ने लैपटॉप पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले का विरोध किया था।