धार्मिक अंधविश्वास ने ली एक और जान – आरोपी महिला तांत्रिक गिरफ्तार
गरियाबंद : धार्मिक अंधविश्वास और चमत्कारी उपचार के नाम पर चल रहे पाखंड ने एक और मासूम युवती की जान ले ली। आरोपी महिला तांत्रिक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह मामला न सिर्फ धार्मिक पाखंड का गंभीर उदाहरण है, बल्कि कानून की नजर में भी एक जघन्य अपराध बन गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, रायपुर की रहने वाली सुनिता सोनवानी ने राजिम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी बेटी मानसिक रूप से अस्वस्थ थी। इसी सिलसिले में वह युवती को गरियाबंद जिले के सुरसाबांधा गांव की एक महिला ईश्वरी साहू के पास ले गई, जो स्वयं को चमत्कारी उपचारकर्ता बताती है।
प्राथमिकी के मुताबिक, ईश्वरी साहू ने पीड़िता को अपने घर में रखकर इलाज के नाम पर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। आरोप है कि उसने युवती को ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव डाला, और इलाज के दौरान आयुर्वेदिक तेल, गर्म पानी और शारीरिक बल का उपयोग कर उसे चोट पहुंचाई। ईश्वरी साहू कथित रूप से अपने पैरों से पीड़िता के सीने को मसलती थी और धार्मिक प्रार्थनाएं करने को कहती थी।
इलाज के दौरान युवती की हालत बिगड़ गई और उसकी मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पसलियों की हड्डी टूटने और सीने पर दबाव के चलते मौत की पुष्टि हुई है।
राजिम थाना पुलिस ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए ईश्वरी साहू के खिलाफ छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2006 की धारा 4, औषधि और चमत्कारिक उपचार (आक्षेपणीय विज्ञापन) अधिनियम 1954 की धारा 7 और भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (बीएनएस) के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस ने आरोपी को विधिवत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर दिया है।
गरियाबंद पुलिस अधीक्षक ने मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए आम जनता से अपील की है कि अंधविश्वास के झांसे में न आएं और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
उठते सवाल:
क्या हमारा समाज अब भी चमत्कारी इलाज के नाम पर जान गंवाता रहेगा?
मानसिक रोगों के प्रति लोगों की समझ इतनी कम क्यों है कि वे डॉक्टर की बजाय झाड़-फूंक को प्राथमिकता देते हैं?
क्या प्रशासन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्थायी जागरूकता अभियान चलाएगा?



