बीमा खरीदने वालों को झटका! अब पॉलिसी सरेंडर पर नहीं मिलेंगे ज्यादा पैसे
नई दिल्ली/सूत्र: बीमा खरीदने वालों के लिए बड़ी खबर है। अब बीमाधारक को पॉलिसी सरेंडर करने पर ज्यादा पैसे नहीं मिलेंगे। कंपनियों ने भारतीय बीमा नियामक (आईआरडीए) के प्रस्ताव का विरोध किया, जिसके कारण नियामक को पुराना नियम लागू करना पड़ा। हालांकि, नियामक ने कहा है कि बीमा कंपनियों को ऐसे शुल्कों का खुलासा पहले ही करना होगा। नियामक ने बीमा क्षेत्र से जुड़े कई नियमों को अधिसूचित किया है।
आईआरडीए ने बीमा उत्पाद विनियमन, 2024 के तहत छह नियमों को एक एकीकृत ढांचे में विलय कर दिया है। इसका उद्देश्य बीमा कंपनियों को उभरती बाजार की मांग के अनुसार तेजी से कदम उठाने में सक्षम बनाना, कारोबार सुगमता को बेहतर करना और बीमा को बढ़ावा देना है।
क्या है नए नियम में
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण ने अपने बयान में कहा कि ये नियम उत्पाद डिजाइन और मूल्य निर्धारण में बेहतर कार्यप्रणाली को बढ़ावा देते हैं। इसमें पॉलिसी रिटर्न पर गारंटीकृत मूल्य और विशेष रिटर्न मूल्य से संबंधित नियमों को मजबूत करना शामिल है। यह यह भी सुनिश्चित करता है कि बीमाकर्ता प्रभावी निगरानी और उचित परिश्रम के लिए ठोस गतिविधियाँ अपनाएँ।
1 अप्रैल से हो जाएगा लागू
ये नियम 1 अप्रैल, 2024 से लागू होंगे। इनमें कहा गया है कि अगर पॉलिसी खरीदने के तीन साल के भीतर वापस की जाती है या रिफंड की जाती है, तो ग्राहक को प्रीमियम का 30 प्रतिशत भुगतान किया जाएगा। चौथे से सातवें वर्ष तक रिफंड की जाने वाली पॉलिसियों के लिए रिफंड मूल्य कुल प्रीमियम के 50 प्रतिशत तक सीमित होगा। बीमा में रिटर्न वैल्यू से तात्पर्य बीमा कंपनियों द्वारा पॉलिसीधारक को भुगतान की गई राशि से है, यदि वह पॉलिसी की परिपक्वता तिथि से पहले उसे समाप्त कर देता है। यदि पॉलिसीधारक पॉलिसी अवधि के दौरान ‘सरेंडर’ करता है, तो उसे एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाता है। इससे पहले आईआरडीए ने भुगतान नियमों में बदलाव किया था, जिसमें पॉलिसी सरेंडर करने पर ज्यादा रकम देने का प्रस्ताव था।
34 नियम मिलाकर 8 बनाए
आईआरडीए ने 19 मार्च को हुई अपनी बैठक में बीमा क्षेत्र के लिए नियामक ढांचे की व्यापक समीक्षा के बाद आठ सिद्धांत-आधारित एकीकृत नियमों को मंजूरी दी। ये नियम पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा, ग्रामीण और सामाजिक क्षेत्र की जिम्मेदारियां, इलेक्ट्रॉनिक बीमा बाजार, बीमा उत्पाद और विदेशी पुनर्बीमा शाखाओं के संचालन के साथ-साथ पंजीकरण, बीमा जोखिम और प्रीमियम का आकलन, वित्त, निवेश और कंपनी प्रशासन जैसे पहलुओं को कवर करते हैं। आईआरडीए ने बयान में कहा, ‘यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें 34 नियमों को छह नियमों से बदल दिया गया है. इसके साथ ही नियामक परिदृश्य में स्पष्टता के लिए दो नए नियम भी लाए गए हैं।