चीन में मंदी, भारत में कई उद्योग अभी भी कच्चे माल के लिए बीजिंग पर निर्भर

नई दिल्ली: भारत न केवल चीनी सेना की गतिविधियों पर पैनी नजर रखे हुए है, बल्कि हाल के महीनों में चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट और कमजोरी के संकेतों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है. है। कारण यह है कि दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक तनाव के बावजूद आर्थिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं।

2022 के पहले छह महीनों के द्विपक्षीय व्यापार के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि चीन और भारत का द्विपक्षीय व्यापार लगातार दूसरे वर्ष 100 अरब डॉलर को पार कर जाएगा। चीन अभी भी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और उसकी अर्थव्यवस्था के कमजोर होने का असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है।

यही कारण है कि चीन सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर न सिर्फ वित्त मंत्रालय के अधिकारी बल्कि आरबीआई भी सतर्क है और वहां की हर आर्थिक गतिविधि की भारतीय संदर्भ में समीक्षा की जा रही है।

एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चीन की अर्थव्यवस्था से बिल्कुल अलग संकेत आ रहे हैं। एक तरफ पूरी दुनिया के केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। इसलिए ब्याज दरों में 10 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है। कोरोना महामारी को लेकर जहां पूरी दुनिया में बेहद साधारण नियम बनाए जा रहे हैं. ताकि आर्थिक गतिविधियां प्रभावित न हों, लेकिन चीन के कई बड़े औद्योगिक शहरों में अभी भी कई तरह के अवरोध लागू हैं।

विश्व अर्थव्यवस्था में चीन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे कम होने में समय लगेगा। अगर चीन की अर्थव्यवस्था अभी नीचे आती है तो इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. चीन भारत का एक बहुत बड़ा आर्थिक साझेदार देश भी है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में चीन की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि मई 2020 से दोनों देशों के बीच जारी सैन्य तनाव का द्विपक्षीय व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ा है. केंद्र सरकार द्वारा जुलाई 2022 में जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी-जून 2022 के दौरान उनका द्विपक्षीय व्यापार 67.08 अरब डॉलर का था। इस अवधि के दौरान, चीन से भारत को निर्यात में 34.5 प्रतिशत (57.51 अरब डॉलर) की वृद्धि हुई, जबकि भारत से चीन को निर्यात में 35.3 प्रतिशत (9.57 अरब डॉलर) की गिरावट आई। 2021 में द्विपक्षीय व्यापार 125 अरब डॉलर का था।

इस बढ़ते निर्यात का सीधा संबंध भारत के बढ़ते निर्यात से है। भारत के रासायनिक उद्योग, फार्मास्यूटिकल्स उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए कच्चा माल बड़े पैमाने पर चीन से आता है। ऐसे में वहां की मंदी का असर भारत के उद्योगों पर भी पड़ने की संभावना है।

अधिकारियों का कहना है कि इस पर नजर रखने के पीछे एक मकसद यह भी है कि चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट भारत के लिए कई नई संभावनाएं भी पैदा कर सकती है।

Show More

KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

Related Articles

Back to top button
Translate »