जिले में अब तक 10 हजार 484 वन अधिकार पत्र वितरित

वन अधिकार पत्र मिलने से पुरखों का सपना हुआ साकार

सुखसागर/बलौदाबाजार : राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी  योजनाओं में से एक वन अधिकार पत्र से आदिवासियों की जीवन शैली में काफी बदलाव आया हैं। प्रकृति को सहजतें हुए खेती किसानी के कार्य में लगें हुए हैं। वन अधिकार पत्र मिलने से अपने ही जमीन से बेदखली होने का डर खत्म हो गया है। जिले में अब तक 10 हजार 260 व्यक्तिगत एवं 224 सामुदायिक वन अधिकार पत्र वितरित किये जा चुके हैं। सामुदायिक वन अधिकार पत्र का उपयोग समस्त ग्रामवासी गांव के विभिन्न निस्तारी, सामूहिक खेती,गौठान निर्माण, चारागाह एवं अन्य क्रियाकलापों के लिए उपयोग किए जाते है। वन अधिकार पत्र से धान को बेचने में एवं खेती करने के लिए खाद-बीज मिलने, भूमि सुधार सहित तमाम विकास योजनाओं का फायदा उन्हें मिलना सुनिश्चित हो गया है।

माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार गठन के पश्चात् पुराने निरस्त हुए आवेदनों पर पुर्नविचार करते हुए दो वर्षो में 2158 वन अधिकार पत्रों का वितरण किया गया है। जिले में अधिकांशतः वन अधिकार पट्टा पलारी एवं बिलाईगढ़ विकासखण्ड के आंशिक गांव में एवं कसडोल विकासखण्ड के ग्राम चरोदा ब,गबोद, अमगांव, लोरितखार, बार, मोहन्दा, ढेबा, हरदी, अकलतरा, देवगांव, गजराडीह, दलदली, कोसमसरा, चांदन, नवागांव, राजा देवरी, बिलारी, देवतराई और गोलाझर के हितग्राहियों को वन अधिकार पत्र वितरित किया गया है। ऐसे ही एक कृषक आदिवासी परिवार जो कई पीढ़ियों से काबिज कसडोल विकासखण्ड़ के अंतर्गत ग्राम थरगाँव निवासी महेश राम बरिहा ने बताया कि मेरे पास जमीन का कागजात नही होने से हमेशा अपनी काबिज जमीन को छोड़ने का डर सताता रहता था। ना जाने कब हमें अपनी ही जमीन से बेदखल कर दे पर राज्य सरकार के द्वारा हमें काबिज भूमि 3.2 एकड़ का वन अधिकार पत्र मिला हैं। जिससे अब हमें जमीन का मालिकाना हक मिल गया हैं। यह ना केवल मेरा सपना बल्कि यह हमारे पुरखों का देखा हुआ सपना हैं। जो आज वन अधिकार पत्र के माध्यम से पूरा हुआ हैं। महेश राम ने आगें बताया कि मैं अलग मौसम में अलग अलग फसल लेता हूं। जिसमें धान, गेंहू एवं उड़द शामिल हैं। फसलों में धान के फसल को 25 सौ रूपये बोनस के साथ प्रति क्विंटल में बेचना दुगुनी खुशी प्रदान करता हैं। इस साल बोनस के पैसे से अपनी ही जमीन पर एक बोर भी करवाया हूं ताकि पानी की समस्या ना हो। जमीन का पट्टा मिलने से मुझें अभी खरीफ फसल के लिये सहकारी सोसायटी से खाद् एवं बीज मिल गया हैं।

ऐसे ही कसडोल विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम राजादेवरी निवासी झुमक लाल बंदे ने बताया कि मुझें 3 एकड़ काबिज भूमि का वन अधिकार मिला हैं। इस जमीन पर मैं धान एवं सब्जी की खेती करता हूं यह ही मेरा आय का प्रमुख स्रोत हैं। वन अधिकार पत्र मिलने से जमीन छोड़ने एवं किसी के द्वारा भगाने का डर दूर हो गया हैं। साथ ही किसानी कार्य मे सोसायटी खाद एवं बीज प्राप्त करनें में समस्या नहीं होती हैं। साथ ही अब निश्चिंत होकर अपने परिवार के साथ जीवनयापन कर रहा हूं।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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