चैत्र नवरात्र पर नारी शक्ति की कहानी

दन्तेवाड़ा : शक्ति की आराधना का महापर्व चैत्र नवरात्र शनिवार 2 अप्रैल से प्रारंभ हो रहा है। सफलता की यह कहानी हर नारी शक्ति को प्रेरणा देने वाली है। अपने बेटे को आंचल में लेकर वर्षा, ई-रिक्शा के सहारे अपनी जिंदगी के सफर में आगे बढ़ रही है। प्रशासन की मदद ने उसकी राह और आसान बना दी है। हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी एक अलग पहचान बना रही हैं। ऐसे ही जिले की वर्षा मरकाम ई-रिक्शा की ड्राइवर हैं। समाज में फैली बेबुनियाद धारणाओं से इतर कुछ सोचने-समझने की क्षमता हो, कुछ कर गुजरने का इरादा हो तो सफलता फिर दूर नहीं, कुछ इसी राह पर चलते हुए जिला दंतेवाड़ा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत चितालंका की निवासी श्रीमती वर्षा मरकाम आत्म निर्भर बन रही है।

आर्थिक तंगी से गुजरते हुए एक बच्चे का भविष्य जब एक मां की आंखों के आगे घूम रहा था तो उसने बच्चे के भविष्य के लिए ई-रिक्शा चलाने का पुरुषवादी वर्चस्व तोड़ा और अपनी सफलता की कहानी खुद लिखी।

वर्षा ने बताया कि आज से 4 वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान से जुड़ी। जिसमें उनके साथ अन्य 10 दीदियों ने मिलकर गेंदाफूल स्व सहायता समूह बनाया और छोटी-छोटी बचत अन्य गतिविधियां करने लगे। बिहान योजना में ही दीदी ने कृषि मित्र का प्रशिक्षण प्राप्त किया और कृषि मित्र के केडर के रूप में काम करने लगी जिससे उन्हें प्रतिमा 1500 की अतिरिक्त आमदनी मानदेय के रूप में मिलने लगी।

जिला प्रशासन के सहयोग से ई-रिक्शा प्रदान किया गया था। सुबह में घर-घर से बच्चों को विद्यालय तक पहुंचाने से लेकर कड़ी धूप में यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह तक वर्षा दीदी ले जाती है। वर्षा दीदी का एक छोटा बेटा भी है जिसे वह अपने आंचल में कपड़े से बांधकर ई-रिक्शा को चलाती है जिससे वर्षा दीदी के हौसले और कुछ कर गुजरने की इच्छा शक्ति का पता चलता है। ई-रिक्शा चलाने के पहले स्थिति अच्छी नही थी। परन्तु आज वे अपने बुलन्द इरादो से अपने व अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद् कर रही है। श्रीमती वर्षा ने बताया कि वह प्रतिमाह औसतन 8 हजार से 10 हजार रुपए कमा लेती है। उसे सुकून है कि अब वह बच्चों की परवरिश के लिए भी पूरा वक्त निकाल रही है और स्वावलंबी भी बन रही है, जिसके लिए वर्षा और समूह की अन्य दीदियों ने जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया है

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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