दिल्ली में बिखरी छत्तीसगढ़ की संस्कृति, CCRT कार्यशाला में शिक्षकों ने मोहा मन

गरियाबंद: राजधानी दिल्ली स्थित सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र (CCRT) में आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय कार्यशाला में छत्तीसगढ़ की संस्कृति की छटा खूब बिखरी। “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप शिक्षा में पुतलीकला की भूमिका” विषय पर आयोजित यह कार्यशाला 10 से 24 सितम्बर 2025 तक चली, जिसमें देशभर से आए शिक्षकों, कलाकारों और शिक्षा विशेषज्ञों ने भाग लिया।
गरियाबंद जिले से नावाचारी शिक्षक टिकेश्वर महिलांगे ने छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने मुख्य संचालनकर्ता की भूमिका निभाते हुए सहयोगी शिक्षकों के साथ छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति, राजनीतिक-प्रशासनिक ढांचा, खानपान, भाषा, रहन-सहन और कला-संस्कृति पर प्रभावशाली पावरपॉइंट प्रस्तुति दी। इसके अलावा नृत्य और पारंपरिक व्यंजनों के माध्यम से भी राज्य की सांस्कृतिक पहचान को प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुति इतनी आकर्षक रही कि 11 राज्यों से आए 68 शिक्षक मंत्रमुग्ध हो गए।
कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को वार्ली आर्ट, मंडला आर्ट, कागज़ क्राफ्ट, कठपुतली निर्माण व संचालन तकनीक और शिक्षण प्रक्रिया में इनके प्रयोग पर विशेषज्ञ प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम प्रभारी के रूप में क्षेत्राधिकारी देवा, जुलिसा और कोमल मौजूद रहे। छत्तीसगढ़ से कुल 10 शिक्षक इस कार्यशाला में शामिल हुए, जिनमें टिकेश्वर महिलांगे के साथ हेमंत श्रीवास, अंशुमन दुबे, उमाशंकर साहू, तिलेश्वर साहू, संध्या पैंकरा, गायत्री चंद्रवंशी, अर्चना साहू, रीता श्रीवास्तव और अनामिका चंद्रनान्हू शामिल रहे।



