काले धंधे का सच: सट्टे की लत कर रही जिंदगियां बर्बाद

गरियाबंद/संपादक की कलम : शहर हो या गांव में सट्टा का धंधा बरसों से फल-फूल रहा है. जहां कई युवकों को सट्टे की लत से मौत को गले लगाना पड़ा, वहीं अनेक लोगों को फुटपाथ पर लाकर खड़ा कर दिया। सादा जीवन जीने वाले कुछ लोग सट्टे के शौक से इस कदर बर्बाद हो गए कि सामाजिक अपमान से बचने के लिए कुछ ने दुनिया को अलविदा भी कह दिया।

इस काले धंधे पर लगाम लगाने के लिए पुलिस की कार्रवाई भी महज औपचारिकता का हिस्सा बन जाती है. नतीजा यह है कि आए दिन एक परिवार इस काले धंधे का शिकार होकर बर्बादी के रास्ते पर धकेला जा रहा है। आजकल इस धंधे में कई नामी हस्तियां शामिल हैं, जिनमें से कुछ राजनेता और शासकीय सेवाक भी इस धंधे में शामिल हैं।

ज्ञात हो कि चौक-चौराहे पर छोटे-छोटे सटोरिये सट्टा-पट्टी लिखने का काम करते हैं, जिसमें गरीब परिवार और छोटे बच्चे सट्टा खेलने के आदी हो गए हैं. अनेक परिवार इस रोग से बुरी तरह पीड़ित व प्रभावित है लेकिन मरता क्या न करता के कारण या लखपती बनने की चाहत ने उन्हें बरबस ही इस और खींच लिया है।

ओपन-क्लोज के नाम से मशहूर इस खेल में जिस तरह से सब कुछ ओपन हो रहा है, उससे लगता है कि खैवाल को कानून का कोई डर नहीं है. आपको बता दें कि समाज में गाजर घास की तरह सटोरिये का धंधा फैला हुआ है. सट्टेबाजी का अवैध धंधा हाईटेक हो गया है। मोबाइल और कंप्यूटर की मदद से सट्टा चलाया जा रहा है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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