गुणवत्ता प्रमाणित करने के लिए समय और संसाधनों का सही दिशा में उपयोग करें: प्रो.शैलेन्द्र

गरियाबंद: आईएसबीएम विश्वविद्यालय, नवापारा कोसमी में नैक (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) के मूल्यांकन की प्रक्रिया एवं मानदंड पर फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के दूसरे दिन मुख्य अतिथि के तौर पर शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय, जगदलपुर, बस्तर के पूर्व कुलपति एवं शिक्षाविद प्रो.शैलेन्द्र कुमार सिंह थे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आनंद महलवार ने किया।

अपनी बात शुरू करते हुए प्रो.शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य सिर्फ़ ज्ञान का विस्तार ही करना नहीं होता बल्कि चरित्र का निर्माण, बुद्धि का विकास और रोजगार से भी जोड़ना भी होना चाहिए। नैक प्रत्यायन और प्रमाणन की आवश्यकता इसलिए है कि हम राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपने ज्ञान के संसाधनों का कितना उपयोग कर पाते हैं।

प्राचीन काल से ही शिक्षा के क्षेत्र में भारत का विशेष महत्व रहा है। नालंदा, तक्षशिला जैसे विश्ववविद्यालय भारतीय ज्ञान परम्परा को पूरी दुनिया में पहुंचाने का कार्य करते थे। इस संशोधित मूल्यांकन प्रणाली का उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता सुधारना, पारदर्शिता बढ़ाना, प्रक्रियाओं को सरल बनाना और आईसीटी के व्यापक उपयोग को प्रोत्साहित करना है।

समय और संसाधनों का उपयोग नैक की ग्रेडिंग प्राप्त करने के लिए आवश्यक होता है। इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि प्रत्यायन की प्रक्रिया अधिक प्रभावी और विश्वसनीय होगी। उच्च शिक्षा संस्थानों की स्वयं-विश्लेषण क्षमता, छात्र संतुष्टि और बाहरी विशेषज्ञों की समीक्षा के आधार पर उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भी तैयार होना होगा।

विश्वविद्यालय में कितने प्राध्यापक हैं, छात्र-शिक्षक का दर, कितने ओबीसी, एससी, एसटी शिक्षक, महिला शिक्षक एवं छात्र हैं ,यह सभी डेटा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मैन पावर के साथ माइंड पावर भी होना चाहिए। आज चाइना इसलिए तेज़ी से विकास कर रहा है क्योंकि उसने बुद्धि का विस्तार किया और उसे टेक्नोलॉजी में रूपांतरित किया।

इससे पहले विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आनंद महलवार ने कहा कि एफडीपी शिक्षकों को नई तकनीकों, अनुसंधान प्रवृत्तियों और शिक्षण तकनीकों से अवगत कराता है, जिससे उनकी दक्षता में वृद्धि होती है। यह न केवल नैक प्रत्यायन में सहायता करता है, बल्कि छात्रों की शिक्षा को भी अधिक प्रभावी बनाता है। मालूम हो कि कार्यक्रम के पहले दिन नैक के सभी क्राइटीरिया पर विस्तार से चर्चा की गई थी। जिसमें विश्वविद्यालय में नैक प्रत्यायन के सभी क्राइटीरिया के सदस्य अपनी बातें साझा किए।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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