सुबह लगती है सब्जियां और शाम को छपते हैं नोट, जानिए इस किसान की कहानी

नई दिल्ली/सूत्र : महाराष्ट्र के विशाल माने रोज सुबह अपने हाइड्रोपोनिक फार्म में सब्जियां लगाते नजर आते हैं. मिट्टी रहित खेती के माध्यम से सब्जियों के पौधे ग्रीनहाउस में उगाए जाते हैं। विशाल ने अपने छोटे से हाइड्रोपोनिक फार्म में 50 अलग-अलग तरह की पत्तेदार सब्जियां लगाई हैं। विशाल माने ने खुद के साथ मिलकर देश और दुनिया के तमाम किसानों को हाइड्रोपोनिक खेती का प्रशिक्षण देने के लिए जगदंबा हाइड्रोपोनिक्स नाम से एक कंपनी बनाई है।

जगदंबा हाइड्रोपोनिक्स एंड एग्रीकल्चर सिस्टम नाम की यह कंपनी देश के किसी भी हिस्से में किसानों को मिट्टी रहित खेती से जुड़ी तकनीक, उपकरण और पूरा सेटअप लगाने में मदद करती है। बिना मिट्टी के हो रही खेती देश के कई इलाकों के किसानों के लिए आज भी कौतूहल की तरह है. विशाल माने लोगों के पास जाते हैं और ग्रीन हाउस और हाइड्रोपोनिक खेती के फायदे बताते हैं और उन्हें अपना सेटअप बनाने में मदद करते हैं।

तेलंगाना के किसान हरिश्चंद्र रेड्डी आज हाइड्रोपोनिक खेती या हाइड्रोकल्चर खेती कर करोड़ों रुपये कमा रहे हैं। प्रारंभ में, उन्होंने हाइड्रोपोनिक खेती में प्रशिक्षण लिया और इसकी तकनीकों का गहराई से अध्ययन किया। इसके लिए उन्होंने छह महीने तक हाइड्रोपोनिक खेती की विधि को समझा और उसके बाद हाइड्रोपोनिक खेती करना शुरू किया।

किसान हरिश्चंद्र रेड्डी ने कहा कि वह लोगों को सस्ती कीमत पर फल और सब्जियां खिलाना चाहते हैं. बाजार में सब्जियों की मांग को देखते हुए उनका ध्यान हाइड्रोपोनिक खेती की तरफ गया। उन्होंने कई जगहों पर जाकर इसकी जानकारी और प्रशिक्षण लेकर हाइड्रोपोनिक खेती करना शुरू किया।

शुरुआत में हाइड्रोपोनिक या प्राकृतिक खेती करने की लागत अधिक थी, लेकिन उसके बाद लागत कम होती चली गई और उपज बढ़ती चली गई। इसी का नतीजा है कि आज वे इस तरह की खेती कर 3 करोड़ रुपये तक की कमाई कर रहे हैं. ग्रीन हाउस हाइड्रोपोनिक तकनीक को स्थापित करने में प्रति एकड़ 50 लाख रुपये तक का खर्च आता है।

हाइड्रोपोनिक एक ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है बिना मिट्टी के केवल पानी से खेती करना। यह एक आधुनिक खेती है, जिसमें पानी का उपयोग कर जलवायु को नियंत्रित कर खेती की जाती है। पानी के साथ कुछ रेत या कंकड़ की जरूरत हो सकती है। इसमें तापमान 15-30 डिग्री के बीच रखा जाता है और आद्रता 80-85 प्रतिशत रखी जाती है। पौधों को पोषक तत्व भी पानी के जरिए ही मिलते हैं।

हाइड्रोपोनिक खेती में पाइप के जरिए खेती की जाती है। इनमें ऊपर से छेद किए जाते हैं और उन छेदों में पौधे लगाए जाते हैं। पाइप में पानी होता है और पौधों की जड़ें उसी पानी में डूबी रहती हैं। इस पानी में पौधे के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं।

यह तकनीक छोटे पौधों वाली फसलों के लिए बहुत अच्छी है। इसमें गाजर, शलगम, मूली, शिमला मिर्च, मटर, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, तरबूज, खरबूजा, अनानास, अजवाइन, तुलसी, टमाटर, भिंडी जैसे सब्जियां और फल उगाए जा सकते हैं।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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