हाइड्रोपोनिक्स खेती क्या है और इसे कैसे करें? जानिए खेती की इस विधि के बारे में पूरी जानकारी
रायपुर: आजकल किसान खेती की नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल करके जबरदस्त मुनाफ़ा कमा रहे हैं। खेती में भी अब आधुनिक तकनीकों का उपयोग होने लगा है। इन्हीं में शामिल हैं हाइड्रोपोनिक खेती इस तकनीक में बिना जमीन के खेती की जा सकती है।
हाइड्रोपोनिक खेती (Hydroponics Farming) के तरीके में केवल बालू मिट्टी और कंकड़ की ही आवश्यकता होती है। विदेशों में पहले ही किसान इस तकनीक के माध्यम से अच्छी कमाई कर रहे हैं। ऐसे ही अब भारत में भी किसान इस तकनीक को अपनाकर बेहतर मुनाफ़ा कमा रहे हैं।
ग्रीक भाषा का शब्द है हाइड्रोपोनिक, जिसका अर्थ बिना मिट्टी के केवल पानी से खेती करना है। हालांकि पानी के साथ थोड़ी बालू और कंकड़ की आवश्यकता होती है। इसमें जलवायु को नियंत्रित करके खेती करते हैं। इसलिए मौसम बदलने पर भी फसलों पर कोई असर नहीं होता।
हाइड्रोपोनिक खेती करने का तरीका
• बिना मिट्टी के फसल उगाने वाली इस तकनीक में पाइपो का उपयोग किया जाता है।
• ये प्लास्टिक के पाइप होते हैं, जिनमें जगह-जगह पर छेद करके ही उनमें पौधे लगाए जाते हैं। जिससे पानी में पौधों की जड़ें पानी में डूबी रहती है। इसके साथ ही इसमें रेत या कंकड़ भी मिलाया जाता है।
• खेती की इस तकनीक में मिट्टी के स्थान पर नारियल के वेस्ट से तैयार नेचुरल फाइबर का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे तापमान नियंत्रित रहता है।
इन फसलों के लिए बेहतर है हाइड्रोपोनिक खेती
छोटे पौधों की खेती के लिए हाइड्रोपोनिक तकनीक का उपयोग करना लाभकारी होता है। इन फसलों में अनानास, मटर, टमाटर, भिंडी, खरबूजा, अजवाइन, तुलसी, ब्लैकबेरी, तरबूज, ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी आदि शामिल हैं।
हाइड्रोपोनिक खेती के लाभ
• इस खेती के माध्यम से बिना जमीन के कोई भी सब्जियों और फलों को उगा सकते हैं।
• खेती की इस तकनीक में पानी की बर्बादी भी नहीं होती। सामान्य खेती की अपेक्षा खेती की इस तकनीक से लगभग 90 प्रतिशत तक पानी बचाया जा सकता है।
• कोई भी चाहे तो केवल एक कमरे से भी इस खेती की शुरुआत कर सकते हैं।
• पौधों को सीधे पानी से सारे पोषक तत्व मिल जाते हैं इसलिए ऐसी फसलों की क्वालिटी में भी वृद्धि होती है।
इसमें फसल पर मौसम की मार का भी कोई असर नहीं होता।