उद्योगों में बढ़ेगी महिलाओं की हिस्सेदारी, सरकार ने औद्योगिक संगठनों को दी खास हिदायत

नई दिल्ली/सूत्र। सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना चाहती है। श्रम मंत्रालय ने सभी औद्योगिक संगठनों से इस दिशा में पहल करने को कहा है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक बड़े औद्योगिक संगठनों के साथ एमएसएमई से जुड़े संगठनों को भी इस दिशा में आगे बढ़ने को कहा गया है।
महिलाओं की भागीदारी कम है इस समय भारत के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 37 फीसद है, जबकि विश्व बैंक के मुताबिक वैश्विक स्तर पर महिलाओं की औसत भागीदारी 47.3 फीसद है। चीन के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 60 फीसद और ब्रिटेन में 72 फीसद है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत 2030 तक अपनी जीडीपी को सात ट्रिलियन डॉलर तक ले जाना चाहता है और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाए बिना यह संभव नहीं है।
मैन्युफैक्चरिंग में तेजी से आगे बढ़ रहे वियतनाम में महिलाओं की भागीदारी 68 फीसद तक पहुंच गई है। यही वजह है कि कुछ महीने पहले श्रम मंत्रालय ने औद्योगिक इकाइयों से महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की शपथ लेने को कहा था। कृषि क्षेत्र में महिलाएं ज्यादा
हालांकि औद्योगिक इकाइयों में महिलाओं की भागीदारी के लिए कोई सीमा तय नहीं की गई है। फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (FISME) के महासचिव अनिल भारद्वाज ने बताया कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के संबंध में मंत्रालय से पत्र मिला है। लेकिन उत्तर भारत में कड़ी कानून व्यवस्था न होने के कारण विनिर्माण में महिलाओं की भागीदारी नहीं बढ़ पा रही है।
दक्षिण भारत में कई मोबाइल फोन विनिर्माण इकाइयों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। ओला इलेक्ट्रिक की एक इकाई का पूरा संचालन महिलाओं के हाथ में है। भारत में महिलाएं मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में काम करती हैं। शहरी क्षेत्रों के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी केवल 25 प्रतिशत तक पहुंच पाई है।