भारत में शादियों पर कितना खर्च? इन आंकड़ों को देख सर्दी में आ जाएगा पसीना

नई दिल्ली/सूत्र: देश में शादियों का सीजन चल रहा है। भारतीय लोग बैंड, बाजा और बारात का जश्न मनाने के लिए दिल खोलकर खर्च कर रहे हैं। इस साल शादी का औसत बजट 36.5 लाख रुपये है जबकि डेस्टिनेशन वेडिंग का विकल्प चुनने वाले लोग औसतन 51 लाख रुपये खर्च कर रहे हैं। मोटे तौर पर, 2024 में शादियां पिछले साल की तुलना में 7% अधिक महंगी हो गई हैं। इसका वेन्यू और कैटरिंग की लागत बढ़ने से ऐसा हुआ है। वेडिंग प्लानिंग फर्म वेडमीगुड की एक स्टडी के मुताबिक वेन्यू और कैटरिंग की लागत पिछले साल के मुकाबले 10% से अधिक बढ़ गई है।

सूत्रों के अनुसार वेडिंग प्लानिंग फर्म टेलरमेड एक्सपीरियंस के संस्थापक और निदेशक शशांक गुप्ता ने बताया कि हर कोई सबसे अच्छी शादी चाहता है। लोग सबसे अधिक खर्च वेन्यू पर कर रहे हैं। उसके बाद भोजन और एक अच्छी प्लानिंग एजेंसी पर। भारत में अधिकांश परिवार घर खरीदने और अपने बच्चों की शादियों के लिए सबसे ज्यादा बजट रखते हैं। अमीरों के लिए पैसे की कोई समस्या नहीं है। वे शादियों पर दिल खोलकर खर्च कर रहे हैं।

1 करोड़ से अधिक का बजट

अमीरों की शादियों का बजट 1 करोड़ रुपये से अधिक है। ऐसी अधिकांश शादियां डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में आयोजित की जाती हैं। निमंत्रण से लेकर सजावट और आयोजन तक सब कुछ थीम पर आधारित है। युवा जोड़े शादी में कई तरह की नई चीजें ला रहे हैं। सूत्रों के अनुसार वेडमीगुड की सह-संस्थापक महक सागर शाहनी ने कहा कि शादियों की प्रकृति बदल गई है। लोग नई-नई चीजों पर पैसे खर्च कर रहे हैं। उदाहरण के लिए नई पीढ़ी के जोड़े कॉकटेल मिक्सिंग, गेमिंग सेशन, वेन्यू पर टॉप अप रेस्तरां स्थापित कर रहे हैं। कई जोड़े थीम वाले वेलकम डिनर भी पेश कर रहे हैं जो कि पश्चिमी अवधारणा है।

पर्सनलाइज्ड और एक्सपेरीमेंटल शादियों के चलन ने नए जमाने के कारोबार को अपने पैर जमाने में मदद की है। गुप्ता ने कहा कि नए युग के कलाकारों और कैटरर्स को अवसर मिल रहे हैं क्योंकि जोड़े व्यक्तिगत अनुभवों पर अधिक खर्च कर रहे हैं। सीएआईटी के अनुमानों के मुताबिक दिसंबर में 24 लाख शादियां होने वाली हैं जिससे 3 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा। भारत में रिटेल सेल में शादियों का बड़ा हिस्सा होता है। इससे कारोबार में वृद्धि की उम्मीद है। सोशल मीडिया और लोगों की ‘इंस्टाग्रामेबल’ तस्वीरें रखने की इच्छा भी शादियों के कारोबार को बढ़ावा दे रही है।

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KR. MAHI

CHIEF EDITOR KAROBAR SANDESH

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