हेल्थ-लाइफ इंश्योरेंस पर जीरो GST का रास्ता साफ, कंपनियों को संभावित नुकसान की चिंता

नई दिल्ली/सूत्र: हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस की इंडिविजुअल पॉलिसी से 18% GST हटाने की राह बनती दिख रही है। केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव पर राज्यों के मंत्रियों के समूह में बुधवार को सहमति बन गई। इस बारे में अंतिम फैसला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली GST काउंसिल करेगी। केंद्र ने जो प्रस्ताव दिया है, उसमें ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी को GST मुक्त करने की बात नहीं है।

मंत्रियों के समूह की बैठक में भी यह मुद्दा उठा कि GST घटने से होने वाला फायदा पॉलिसी धारकों को मिलना चाहिए, न कि बीमा कंपनियों को। वहीं इंश्योरेंस सेक्टर चिंता जता रहा है कि प्रीमियम से जीएसटी खत्म होने वाली व्यवस्था के साथ कुछ और कदम नहीं उठाए गए तो कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम नहीं कर पाएंगी और उन्हें आर्थिक चपत लगेगी।

काउंसिल को रिपोर्ट

इंश्योरेंस पर GST रेट को लेकर पिछले साल सितंबर में राज्यों के मंत्रियों का समूह (GoM) बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में बनाया गया था। बुधवार को GoM की मीटिंग के बाद चौधरी ने बताया, ‘भारत सरकार का स्पष्ट प्रस्ताव है कि इंडिविजुअल या उनके परिवार के लोगों के लिए इंश्योरेंस को GST मुक्त किया जाए। हम सभी मेंबर्स ने सहमति दी है। कुछ लोगों का अपना व्यू है। रिपोर्ट काउंसिल को दी जाएगी।’

प्रीमियम घटेगा

GST खत्म किए जाने से इंश्योरेंस प्रीमियम घटेगा। हालांकि इसमें ITC का पेच है। कंपनियां बीमा प्रोडक्ट देने में जिन चीजों और सेवाओं का उपयोग करती है, उन पर उन्हें GST देना होता है। इस GST पेमेंट को वे इश्योरेंस प्रीमियम पर GST से कंपनसेट करती है। इसे ITC क्लेम करना कहते हैं। इससे उनकी फाइनल GST देनदारी घट जाती है। लेकिन प्रीमियम पर GST जीरो हो जाने पर वे ऐसा नहीं कर पाएंगी। इससे उनकी कॉस्ट बढ़ेगी। इसका असर आखिरकार पॉलिसीधारकों पर आएगा।

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तेलंगाना के डिप्टी सीएम एम बी बिक्रमार्क ने कहा कि हमने साफ कर दिया कि GST घटने का फायदा पॉलिसीधारकों को मिलना चाहिए, न कि कंपनियों को। इसके लिए कोई व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। कियान इंश्योरेंस के को-फाउंडर हेमिक शाह ने कहा, ‘अभी डिस्ट्रिब्यूशन, टेक्नॉलजी और सर्विसिंग के खर्चों पर काफी ITC क्लेम किया जाता है। इंश्योरेंस पर GST रेट एग्जेम्प्ट किए जाने पर वेंडर्स को किए जाने वाले पेमेंट पर बीमा कंपनियां GST क्रेडिट नहीं ले पाएंगी। इससे इश्योरेंस से GST हटाने का फायदा पूरी तरह खत्म हो सकता है।

किफायती बीमा कवर के उपाय जरूरी

पिछले सालभर में ही इंश्योरेंस प्रीमियम में औसतन 15% से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। बीमा नियामक IRDAI को इस साल जनवरी में निर्देश देना पड़ा कि कंपनियां 60 साल और ऊपर के पॉलिसीधारकों का प्रीमियम 10% सालाना से ज्यादा न बढ़ाएं। अब हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस की इंडिविजुअल पॉलिसी से GST हटाने से लोगों को राहत मिलेगी। किफायती होने से बीमा कवरेज बढ़ेगा, जो अभी बहुत कम है। हालांकि ITC का पेच भी सुलझाना होगा, जिससे कंपनियां इसके हवाले से प्रीमियम न बढ़ाएं।

सुधारों पर बनाएंगे आम सहमति: FM

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि जीएसटी में अगले चरण के सुधारों का जो प्रस्ताव केंद्र सरकार ने राज्यों को भेजा है, वह आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। उन्होंने कहा कि इस बारे में राज्यों के साथ आम सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा। इंश्योरेंस, जीएसटी दरो में बदलाव और कंपनसेशन सेस पर राज्यों के मंत्रियों के 3 समूहों के साथ बैठक में सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार ने ढांचागत सुधारों, दरों में तर्कसंगत बदलावों और ईज ऑफ लिविंग के तीन पहलुओं पर आधारित सुधारों का प्रस्ताव किया है। केंद्र ने जीएसटी में 5% और 18% की केवल दो दरे रखने का प्रस्ताव दिया है। इस तरह 12% और 28% के स्लैब हटाए जाएंगे।

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